Edited By Ekta, Updated: 06 Feb, 2019 05:05 PM
रेलवे पुलों की ऊंचाई देखकर ही जहां रूह कांपने लगे, वहां से रोजाना सैकड़ों लोग पैदल चलने को मजबूर हैं। इन पुलों से रोजाना स्कूली बच्चें, महिलाएं व बुजुर्ग भी गुजरते हैं। पुल में हर समय ट्रेन का खतरे के साथ-साथ पुल से नीचे गिरने का खतरा भी बना रहता...
कांगड़ा (मुनीष दीक्षित): रेलवे पुलों की ऊंचाई देखकर ही जहां रूह कांपने लगे, वहां से रोजाना सैकड़ों लोग पैदल चलने को मजबूर हैं। इन पुलों से रोजाना स्कूली बच्चें, महिलाएं व बुजुर्ग भी गुजरते हैं। पुल में हर समय ट्रेन का खतरे के साथ-साथ पुल से नीचे गिरने का खतरा भी बना रहता है। लेकिन लोग मजबूर हैं और 30 सालों से सरकार इन गांवों के लोगों के लिए एक पैदल पुल तक का इंतजाम करने में अक्षम हो गई है। मामला जिला कांगडा के बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र के मझैरणा के साथ लगती झिकली नौकरी पंचायत का है। यह इलाका कई साल राजगीर विधानसभा क्षेत्र के अधीन रहा। पुर्नसीमांकन हुआ तो यह इलाका 2012 के चुनाव से बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र में आ गया।
यहां झिकली नौरी सहित मझैरणा व इसके आसपास की कई पंचायतों के लोग रोजाना मुख्य धारा से जुड़ने के लिए इन रेलवे पुलों से बेहद खतरनाक सफर तय करने को मजबूर हैं। 30 साल पहले लोगों ने सरकार से पपरोला स्कूल के समीप एक पैदल पुल बनाने की मांग उठाई। लेकिन यह पुल आश्वासनों के ही झूलों में झूल रहा है। लोगों के लिए मुख्यधारा तक जाने के लिए दो ही रास्ते बचेे हैं या तो वे पानी अधिक होने पर भी पुन्न खड्ड की तेजधारा को पार करें या फिर रेलवे पुलों से का ही सहारा लें। पांच साल पहले स्कूल को जा रहे एक 15 साल के बच्चे की पानी में बहने से मौत हो गई, एक लड़की बहने से बच गई। उसके बाद लोगों में आक्रोश को कम करने के लिए पुल का कार्य तो शुरू हुआ, लेकिन दो पिल्लर बनने के बाद बंद हो गया।
राजगीर के पूर्व विधायक मिल्खी राम गोमा की मानें तो उन्होंने वर्ष 1997 में अपने कार्यकाल में यहां पुल की नींव रखी थी। लेकिन बाद में भाजपा सरकार आने पर यह काम रूक गया। वहीं वर्ष 2012 से बैजनाथ हलके में आए इस इलाको को लेकर बैजनाथ के पूर्व विधायक किशोरी लाल की मानें तो उन्होंने यहां पुल के काम के लिए टोकन मनी दी थी, इसके बाद दो पिल्लर भी बने हैं। आगे काम अब भाजपा को करवाना है। भाजपा के विधायक मुल्ख राज प्रेमी कहते हैं कि उम्मीद किजिए जल्द काम शुरू होगा।