खतरे भरा सफर और फिर भूखे पेट सोना, पढ़ें खबर

Edited By kirti, Updated: 31 Aug, 2018 09:22 AM

dangerous journey and then starve hungry stomach

सलाम है निगम के उन 36 बहादुर कर्मचारियों को जो हर रोज जान जोखिम में डालकर पांगी के 23,000 लोगों को सेवाएं दे रहे हैं। वे काम की पगार तो ले रहे हैं लेकिन जिन खतरों से भरी सड़कों पर वे हर रोज सफर कर रहे हैं उसके लिए हमारी सरकारें और प्रशासन भी कम...

 

पांगी : सलाम है निगम के उन 36 बहादुर कर्मचारियों को जो हर रोज जान जोखिम में डालकर पांगी के 23,000 लोगों को सेवाएं दे रहे हैं। वे काम की पगार तो ले रहे हैं लेकिन जिन खतरों से भरी सड़कों पर वे हर रोज सफर कर रहे हैं उसके लिए हमारी सरकारें और प्रशासन भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। उन्हें खतरनाक रूटों पर चलकर जान का जोखिम मिलने के बाद भी खाना तक नसीब नहीं होता। भूखे पेट ही सोना पड़ता है। मजबूरी ऐसी कि कोई सुनने वाला नहीं और सरकार तक उनकी बात पहुंच ही नहीं पाती। जी हां, हम बात कर रहे हैं पांगी में तैनात परिवहन निगम के 36 चालकों-परिचालकों की।

जिला चम्बा की पांगी घाटी में तैनात हिमाचल परिवहन निगम के ये ड्राइवर और कंडक्टर जान हथेली पर रखकर बसें चलाने को मजबूर हैं। घाटी की हर सड़क खतरे से खाली नहीं है। सड़कें ऐसी कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। परिवहन निगम के बस संस्थान किलाड़ में कुल 18 बसें हैं जोकि पूरी पांगी घाटी के लोगों के लिए यातायात का साधन हैं। इन बसों के साथ 18 ड्राइवर और 18 कंडक्टर हैं। यहां कोई भी ड्राइवर और कंडक्टर अतिरिक्त नहीं है।

जब इन निगम के चालकों-परिचालकों से उनका हाल जाना गया तो उन्होंने बताया कि पांगी घाटी के सभी रूट खतरे से खाली नहीं हैं। यहां की सारी सड़कें खराब हैं। कहीं सड़कों में गड्ढे हैं तो कहीं सड़कों की चौड़ाई कम है जिस कारण बसें ढांक से लग जाती हैं। उन्होंने बताया कि कुमार परमार रूट, रेई रूट और सुराल धरवास रूट पर सबसे अधिक जोखिम है। इन रूट्स पर कहीं डंगे गिर गए हैं तो कहीं गिरने की कगार पर हैं। पांगी घाटी में एच.आर.टी.सी. में काम कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि जब से बस अड्डे का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, तब से बसों को सड़क पर खड़ा करना पड़ रहा है। इसके अलावा बसों की वर्कशॉप भी खत्म हो गई है जिस कारण बसों की सॢवस करना मुश्किल हो गया है।

उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि बसों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की जाए और वर्कशॉप के लिए भी जगह दी जाए। चालकों की मुश्किल का अंदाजा इससे ही लगा लीजिए कि किलाड़ से चम्बा की दूरी 187 किलोमीटर है और यह सड़क पूरी तरह से खराब है। इस रूट पर न तो कोई ड्राइवर जाना चाहता और न ही कंडक्टर। ऐसे में कई बार समस्या इस कद्र बढ़ जाती है कि जनता को परेशान होना पड़ता है। साच पास रूट पर कई मोड़ संकरे हैं और कई जगह डंगे बह गए हैं। इस तरफ  न लोक निर्माण विभाग ध्यान दे रहा है और न ही पांगी प्रशासन।

 

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