यहां मौत को मात देकर दो वक्त की रोटी का ऐसे जुगाड़ कर रहे बागवान (Video)

Edited By Vijay, Updated: 26 Aug, 2019 11:42 AM

18 अगस्त व अगस्त को हुई भारी बारिश के जख्म अभी भी भरे नहीं कि शिमला जिले की दुर्गम पंचायत लिंगजार में बरसात के बाद जीवन सामान्य नहीं हो पाया है। यहां सड़कें बंद होने के कारण करोड़ों रुपए के सेब की फसल तबाह होने की कगार पर है। यह तस्वीरें चौपाल उपमंडल...

शिमला (योगराज): 18 अगस्त व अगस्त को हुई भारी बारिश के जख्म अभी भी भरे नहीं कि शिमला जिले की दुर्गम पंचायत लिंगजार में बरसात के बाद जीवन सामान्य नहीं हो पाया है। यहां सड़कें बंद होने के कारण करोड़ों रुपए के सेब की फसल तबाह होने की कगार पर है। यह तस्वीरें चौपाल उपमंडल के लिंगजार पंचायत की हैं। जहां 18 अगस्त की बारिश क्षेत्र के लोगों के लिए तबाही बनकर बरसी आलम यह है कि अभी भी क्षेत्र का संपर्क अन्य क्षेत्रों से कटा हुआ है क्योंकि यहां इस क्षेत्र को जोड़ने वाली सड़क अवरुद्ध है।  
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बागवानों ने दी आत्महत्या की चेतावनी

8 दिन बाद भी प्रशासन द्वारा बाधित सड़कों को खोलने के लिए कोई सहायता नहीं पहुंचाई गई है, जिससे क्षेत्र के बागवानों में सरकार के खिलाफ खासा गुस्सा है। स्थानीय लोग मजबूरन स्वयं ही सड़क बहाली के कार्य में जुटे हैैं। सड़के न खुलने की सूरत में बागवानों ने आत्महत्या की चेतावनी दी है।
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हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में सेब 4 हजार करोड़ रुपए का योगदान देता है लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण शिमला जिला के चौपाल उपमंडल की लिंगजार पंचायत में सेब की 90 हजार पेटियां खराब होने की कगार पर हैं। बीते सप्ताह हुई भारी बारिश के कारण प्रदेश में सड़कों को भारी नुक्सान पहुंचा है। चौपाल क्षेत्र की लिंगजार पंचायत में भी बारिश के कारण सड़कें टूट गई हैं, जिन्हें सरकार एक सप्ताह बीत जाने पर भी दुरुस्त नहीं करवा पाई है, जिससे बागवानों की सेब की फसल मंडियों तक पहुंच न पाने से सड़ने की कगार पर है।
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तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कैसे ग्रामीण स्वंय की अपनी सड़कों को दुरूस्त करने में जुटे हुए हैं। ये हाल चौपाल ही नहीं बल्कि सेब बेल्ट के बहुत सी पंचायत जुब्बल कोटखाई में भी हैं जहां पर भारी बारिश के कारण सड़कें टूट गई और ग्रामीणों द्वारा खुद ही दुरूस्त की जा रही है। ताकि सेब मंडियों तक समय से पहुंचाया जा सके। वहीं अगर हम बात करें ग्राम पंचायत क्यारवी की चौगन गोविंद सड़क की तो यहां पर भी सड़कों ही हालत खस्ता है। इस सड़क पर सफर करना जानलेवा हो सकता है। यहां पर बीते दिनों हुई बारिश से सड़कों की हालात और ज्यादा खस्ता हो गई है। जिसके चलते ग्रामीण स्वंय ही सड़कों को दुरूस्त करने में लगे है।
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ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यहां पर प्रशासन को इस सड़क के बारे कई बार अवगत कराया लेकिन प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। वहीं अब सेब सीजन के चलते ग्रामीणों को मंडियों तक फसल पहुंचाने की चिंता सता रही है। इसके लिए स्थानीय जनता ने स्वयं ही सड़क को दरुस्त करने का बीड़ा अपने हाथ में ले लिया है। इतना ही नहीं जुब्बल कोटखाई की अधिकांश सड़कों की यही दुर्दशा बनी हुई है। वहीं वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे सेबों से भरी टोकरियों को नदी पार करके गाड़ियों में डाला जा रहा है। आपको बता दें सेब बेल्ट में इन दिनों सेब सीजन रफ्तार पर हैं जिसके चलते किसान बागवान परेशान हो रहे हैं।
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लोगों के पिछले जख्म अभी भरे नहीं और कुदत ने एक बार फिर कर बरपाया है। बागवानों को सड़क की खस्ता हालत और सरकार की अनदेखी के चलते सेबों को मंडियों तक पहुंचाने में परेशानी हो रही है। इतना ही नहीं आपको बता दें कि सेब बेल्ट में लोग सेबों पर ही निर्भर है। लोगों की ये साल भर की मेहनत है और उनकी आमदनी का मुख्य जरिया सिर्फ सेब ही है। इसी से सेब सीजन के बाद पूरा साल अपना गुजर बसर करते हैं। वहीं अब देखना होगा कि सरकार इस ओर ध्यान देती है या नहीं या फिर से बागवानों को अनदेखी का शिकार होना पड़ेगा।
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