Edited By Vijay, Updated: 02 Mar, 2019 09:45 PM
दलाईलामा ने वीरवार को मंगोलिया के बौद्ध समूहों के लिए लाइव टैलीकॉन्फैंस के माध्यम से जेई सोंग्खापा के कॉन्सेज स्टेज ऑफ द पाथ और इन द प्राइज ऑफ डिपैंडैंट ऑफ ओपैंशन ऑफ द पाथ पर शिक्षा दी। इस 2 घंटे के शिक्षण पाठ्यक्रम में दलाईलामा ने पिछली दलाईलामाओं...
धर्मशाला: दलाईलामा ने वीरवार को मंगोलिया के बौद्ध समूहों के लिए लाइव टैलीकॉन्फैंस के माध्यम से जेई सोंग्खापा के कॉन्सेज स्टेज ऑफ द पाथ और इन द प्राइज ऑफ डिपैंडैंट ऑफ ओपैंशन ऑफ द पाथ पर शिक्षा दी। इस 2 घंटे के शिक्षण पाठ्यक्रम में दलाईलामा ने पिछली दलाईलामाओं और मंगोलिया के सम्राटों द्वारा सांझा की गई सदियों पुरानी दोस्ती और आध्यात्मिक बंधन को याद किया।
मंगोलियाई राजा अल्टान खान ने दी थी दलाईलामा की उपाधि
उन्होंने कहा कि दलाईलामा की उपाधि द्वारा उन्हें संबोधित किया जाता है, वह उन्हें मंगोलियाई राजा अल्टान खान द्वारा 1578 तीसरे दलाईलामा सोनम ग्यात्सो ने दी थी। इसका अर्थ बुद्धि का महासागर है। उन्होंने कहा कि ‘दलाई’ शब्द का तिब्बती में कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने बताया कि आध्यात्मिक बंधन और मजबूत चौथे दलाईलामा योंटेन व चोकर आदिवासी सरदार सुल्तानिम चोईजे के समय हुआ। इसी तरह 5वें दलाईलामा के समय में तिब्बत एक राजनीतिक उथल-पुथल के बीच था। इसके अलावा 1904 में 13वें दलाईलामा थुप्टेन ग्यात्सो ने शिक्षा देने के लिए मंगोलिया की यात्रा की।
तिब्बत और मंगोलिया ने बौद्ध वंश की प्रथा को रखा बरकरार
दलाईलामा ने 13वें दलाईलामा के समय का एक छोटा किस्सा सुनाया, जिसे उनके गुरु नगोदुप सोग्ननी ने सांझा किया था। उन्होंने कहा कि तिब्बत और मंगोलिया के रूप में हमारे 1000 वर्षों से अच्छे संबंध हैं। उन्होंने बताया कि दोनों ने महान नालंदा स्वामी द्वारा शुरू की गई बौद्ध वंश की प्रथा को बरकरार रखा और अतीत में तिब्बत में मठों में अध्ययन करने वाले मंगोलियाई सभी दर्शन के समर्पित छात्र थे।