हिमाचल की इस जेल में एक दिन रहे थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, यहां अंग्रेज करते थे ऐसे जुल्म

Edited By Vijay, Updated: 01 Oct, 2019 09:02 PM

dagshai jail

ब्रिटिश काल में डगशाई जेल कैदियों के लिए कालापानी की सजा से कम नहीं थी। वर्ष 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस जेल में एक दिन ठहरे थे। बताया जाता है कि आयरिश सैनिकों की होती आकस्मिक गिरफ्तारी ने महात्मा गांधी को डगशाई आने के लिए प्रेरित किया था...

सोलन: ब्रिटिश काल में डगशाई जेल कैदियों के लिए कालापानी की सजा से कम नहीं थी। वर्ष 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस जेल में एक दिन ठहरे थे। बताया जाता है कि आयरिश सैनिकों की होती आकस्मिक गिरफ्तारी ने महात्मा गांधी को डगशाई आने के लिए प्रेरित किया था ताकि वे यहां आकर इसका एकाएक आकलन कर सकें। महात्मा गांधी जिस कक्ष में ठहरे थे उसकी दीवार पर चरखा चलाते हुए उनकी एक बड़ी सी तस्वीर लगाई गई है।
PunjabKesari, Mahatma Gandhi Image

अंग्रेजों के जुल्मों की कहानी को बयान कर रहीं जेल की दीवारें

जेल में बनी कालकोठरियां आज भी भयावह हैं। यहां पर अंधकूप अंधेरा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि अंग्रेजों के समय में इस जेल में किस कदर कैदियों को यातनाएं दी जाती थीं। यहां कैदियों को ऐसी-ऐसी यातनाएं दी जाती थीं, जिनके बारे में सुन कर ही रूह कांप जाती है। इस जेल की दीवारें आज भी अंग्रेजों के जुल्मों की कहानी को बयान कर रही हैं। यहां पर कैदियों को बहुत यातनाएं दी जाती थीं। दंड देने के नए तरीके अपनाए जाते थे। शारीरिक तनाव के अलावा कभी-कभी कैदियों को अनुशासनहीनता का अनुभव महसूस करवाने के लिए अमानवीय दंड भी दिया जाता था। जेल में कैदियों के माथे पर गर्म सलाखों से नंबर दागा जाता था।
PunjabKesari, Prisoner Dummy Image

दोनों दरवाजों के बीच में खड़ा किया जाता था कैदी

बताया जाता है कि कैदी को कैद कक्ष के दोनों दरवाजों के बीच में खड़ा किया जाता था। दोनों दरवाजों पर ताला लगाने के पश्चात यह सुनिश्चित किया जाता था कि कैदी बिना आराम किए कई घंटे इन दोनों दरवाजों के बीच रहे। इस जेल में कैदियों का एक कार्ड भी बनता था। इस कार्ड में कैदी का पूरा ब्यौरा जिसमें उसका नाम, रंग, देश, अपराध, कारावास की अवधि और फैसले की तारीख लिखी जाती थी।

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