Edited By Vijay, Updated: 12 May, 2019 11:13 PM
बगलामुखी देवी जी की जयंती हर्षोल्लास से मनाई गई। जयंती के शुभ पावन अवसर पर सबसे पहले केक काटा गया और इसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ हवन-यज्ञ किया गया। सुबह तड़के से ही भक्तों की लम्बी-लम्बी कतारें मां बगलामुखी के दर्शन करने के लिए लग गईं।
बनखंडी/कोटला (राजीव/अभिषेक): बगलामुखी देवी जी की जयंती हर्षोल्लास से मनाई गई। जयंती के शुभ पावन अवसर पर सबसे पहले केक काटा गया और इसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ हवन-यज्ञ किया गया। सुबह तड़के से ही भक्तों की लम्बी-लम्बी कतारें मां बगलामुखी के दर्शन करने के लिए लग गईं। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान रात के समय की थी। यहां सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी। मां बगलामुखी को पीतांबरा भी कहते हैं।
जयंती वाले दिन हवन करवाने का विशेष महत्व
मान्यता है कि जयंती वाले दिन मां बगलामुखी के मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है। मंदिर के महंत रजत गिरी ने बताया कि जयंती के दिन माता बगलामुखी के दरबार में हवन-यज्ञ और पूजा पाठ करने से सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों से छुटकारा मिलता है। वहीं प्रसिद्ध शक्तिपीठ बगलामुखी कोटला में माता की जयंती धूमधाम से मनाई गई। जयंती के शुभ अवसर पर मंत्रोच्चारण के साथ हवन-यज्ञ किया गया। इस दौरान भंडारे का भी आयोजन किया गया।