4 हजार में बिके पटवारी को 5 साल का कठोर कारावास, जानिए किस काम के लिए मांगी थी रिश्वत

Edited By Vijay, Updated: 07 Nov, 2019 07:11 PM

court gave punishment to accused of bribe

जायज वारसान (लीगल हायर सर्टीफिकेट) प्रमाण पत्र देने के बदले 4 हजार की रिश्वत लेने वाले पटवारी को दोषी करार देते हुए जिला सत्र एवं विशेष न्यायाधीश राकेश चौधरी ने पीसी एक्ट की धारा 7 के अंतर्गत 2 साल का कठोर कारावास व 2 हजार रुपए का जुर्माना तथा...

बिलासपुर (ब्यूरो): जायज वारसान (लीगल हायर सर्टीफिकेट) प्रमाण पत्र देने के बदले 4 हजार की रिश्वत लेने वाले पटवारी को दोषी करार देते हुए जिला सत्र एवं विशेष न्यायाधीश राकेश चौधरी ने पीसी एक्ट की धारा 7 के अंतर्गत 2 साल का कठोर कारावास व 2 हजार रुपए का जुर्माना तथा जुर्माना अदा न करने की सूरत में 3 महीने अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा सुनाई है जबकि धारा 13 (2) के अंतर्गत 5 साल का कठोर कारावास व 5 हजार रुपए जुर्माना व जुर्माना अदा न करने की सूरत में 6 महीने का अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई। ये सारी सजाएं एक साथ चलेंगी।

बता दें कि 30 अक्तूबर, 2015 को खजाना राम गांव सैलही, तहसील सुंदरनगर, जिला मंडी, हिमाचल प्रदेश की शिकायत पर पुलिस थाना बिलासपुर में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में बताया था कि उसकी बेटी रीना देवी की शादी सुनील कुमार पुत्र गुलाब राम गांव हरनोड़ा जिला बिलासपुर के साथ हुई थी। 15 सितम्बर, 2015 को उसके दामाद की हाटकोटी पब्बर नदी में डूबने से मौत हो गई थी। उसके दामाद ने अपना एक ट्रक डाल रखा था जो बरमाणा यूनियन में सीमैंट ढोने के लिए लगाया था।

ट्रक के दस्तावेज व बैंक का खाता रीना देवी के नाम ट्रांसफ र कराने के लिए जायज वारसान प्रमाण पत्र चाहिए था, जिसके लिए शिकायतकर्ता अपनी बेटी को लेकर दोषी पटवारी सुरेश चोपड़ा पुत्र रतन लाल चोपड़ा गांव मतवाना, तहसील घुमारवीं, जिला बिलासपुर पटवार सर्कल धौनकोठी के पास गए तो दोषी पटवारी उन्हें इस काम के लिए 4-5 दिन तक बुलाता रहा।

जब शिकायतकर्ता पुन: 29 अक्तूबर, 2015 को पटवारी के पास गया तो उसने मृत्यु प्रमाण पत्र का इंद्राज अपने रजिस्टर में कर लिया तथा कहा कि मैं कानूनगो से भी हस्ताक्षर करवा लूंगा तथा इस काम को करने के लिए 4 हजार रुपए की मांग की, जिस पर शिकायतकर्ता ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं तब पटवारी ने कहा कि कल सुबह 11 बजे बामटा में जहां से चांदपुर की तरफ  सड़क जाती है वहां पर मिलो तथा अपनी बेटी को भी साथ लेकर आओ और वहां मुझे पैसे दे देना। उसके बाद मैं तहसीलदार से काम करवा दूंगा।

शिकायतकर्ता रिश्वत नहीं देना चाहता था, जिस पर उसने भ्रष्टाचार विरोधी थाना बिलासपुर में थाना प्रभारी उप अधीक्षक तरणजीत सिंह के पास शिकायत दर्ज करवाई। यह मामला अन्वेषण के लिए निरीक्षक पवन कुमार भ्रष्टाचार निरोधक थाना बिलासपुर को सौंपा गया। निरीक्षक पवन कुमार ने उपनिरीक्षक बख्तावर सिंह, आरक्षी पवन कुमार, मानक मुख्य आरक्षी राजकुमार, सुनील कुमार, धर्म सिंह व संत राम, कनिष्ठ अभियंता लोक निर्माण विभाग अनूप गौतम के साथ मिलकर एक ट्रैप टीम बनाई व पाऊडर लगे नोट शिकायकतकर्ता को दे दिए।

अगले दिन दोषी पटवारी ने बताई गई जगह पर आकर शिकायतकर्ता से रिश्वत मांगी तो शिकायतकर्ता ने पाऊडर लगे नोट दोषी को थमा दिए। इस पर भ्रष्टाचार निरोधी टीम ने दोषी को रंगे हाथों दबोच लिया। सभी सबूत इकट्ठे करने के बाद व अभियोजन मंजूरी लेने के बाद दोषी के खिलाफ  प्राइस ऑफ  करप्शन एक्ट 1988 की धारा 72 के तहत विशेष अदालत में चालान पेश किया गया। सरकारी पक्ष के केस की पैरवी करने वाले जिला न्यायवादी एवं लोक अभियोजक विनोद भारद्वाज ने बताया कि बचाव पक्ष की दलीलों को नकारते हुए विशेष अदालत ने अभियुक्त सुरेश चोपड़ा को दोषी करार दिया है व उपरोक्त सजाएं सुनाई हैं।

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