धोखाधड़ी के मामले में पुलिस को कोर्ट की फटकार, थाना प्रभारी को नहीं पता कानून का आधार

Edited By Vijay, Updated: 14 Sep, 2018 10:08 PM

court damnation to police in fraud case

घुमारवीं के अतिरिक्त न्यायिक दंडाधिकारी संदीप सिंह सिहाग की अदालत ने पुलिस थाना प्रभारी तलाई की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस थाना प्रभारी को कानून के आधार का पता ही नहीं है। अदालत ने यह टिप्पणी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3)...

घुमारवीं: घुमारवीं के अतिरिक्त न्यायिक दंडाधिकारी संदीप सिंह सिहाग की अदालत ने पुलिस थाना प्रभारी तलाई की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस थाना प्रभारी को कानून के आधार का पता ही नहीं है। अदालत ने यह टिप्पणी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत दायर आवेदन का निपटारा करते हुए कही। बताते चलें कि शशि पाल निवासी चैहड़ी डाकघर बद्धाघाट, रमेश चंद निवासी कुघारल तहसील व जिला हमीरपुर, अशोक कुमार निवासी कथयून तहसील झंडूता, विनोद कुमार निवासी घंडीर तहसील झंडूता, सुरेश कुमार निवासी कपाहड़ा तहसील घुमारवीं तथा कृष्ण स्वरूप निवासी दलचेना तहसील बड़सर हमीरपुर ने आरोपी के खिलाफ  अदालत में याचिका दायर की थी।

विदेश में नौकरी दिलवाने के नाम पर ठगी थी मोटी रकम
शिकायतकर्ताओं के वकील अजय कुमार ठाकुर ने बताया कि इन लोगों का आरोप था कि आरोपी बरठीं निवासी बलजिंद्र सिंह इन लोगों से विदेश भेजने के नाम पर मोटी रकम वसूलता रहा। आरोपी ने इन लोगों से 2 लाख 70 हजार रुपए विदेश में नौकरी दिलवाने के नाम पर लिए थे। इन लोगों का आरोप है कि आरोपी ने आश्वासन दिया था कि वह उन्हें विदेश में नौकरी दिलवा देगा लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इन्हीं आरोपों के आधार पर शिकायतकर्ताओं ने अदालत में अर्जी लगाई हुई थी। अदालत ने एस.एच.ओ. तलाई को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश जारी किए थे। पुलिस थाना प्रभारी ने अदालत में इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। इस स्टेटस रिपोर्ट पर अदालत ने कहा कि पुलिस ने जो स्टेटस रिपोर्ट अदालत में दाखिल की है, उसे देखकर प्रतीत होता है कि एस.एच.ओ. तलाई को कानून के आधार का पता ही नहीं है।

पुलिस कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप नहीं
अदालत ने कहा कि जिस प्रकार की कार्रवाई पुलिस ने की है, वह कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है। अदालत ने कहा कि वर्तमान दौर में बेरोजगारों को कई शरारती तत्व एवं तथाकथित एजैंट बरगला लेते हैं। उन्हें विदेश जाने का झांसा दिया जाता है, जिसके चलते विधान मंडल ने उत्प्रवास अधिनियम 1983 बनाया है। जिसकी धारा 10 के तहत कहा गया है कि बिना वैध सर्टीफिकेट के कोई भी एजैंट कार्य नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि धारा 24 में ऐसे लोगों के खिलाफ  दंडनीय कार्यवाही का प्रावधान भी किया गया है। पुलिस थाना प्रभारी तलाई द्वारा दाखिल स्टेटस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में यह जानने का प्रयास तक नहीं किया कि इस व्यक्ति के पास इस प्रकार का कार्य करने का वैध प्रमाण पत्र है भी या नहीं? अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस थाना प्रभारी ने उपरोक्त एक्ट के प्रावधानों के बारे में किसी भी प्रकार की छानबीन नहीं की है। अपने निर्णय में अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ  सख्त कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाए।

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