सुक्खू का पलटवार, वीरभद्र आदरणीय पर बोलते हैं झूठ

Edited By Punjab Kesari, Updated: 20 Feb, 2018 05:19 PM

counterattack of sukhu

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह पर पलटवार किया है। कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाने को लेकर सुक्खू ने कहा कि वीरभद्र सिंह आदरणीय हैं पर झूठ बोलते हैं। वीरभद्र ने कभी यह अध्ययन नहीं किया कि 1998 में भाजपा...

शिमला (विकास): हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह पर पलटवार किया है। कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाने को लेकर सुक्खू ने कहा कि वीरभद्र सिंह आदरणीय हैं पर झूठ बोलते हैं। वीरभद्र ने कभी यह अध्ययन नहीं किया कि 1998 में भाजपा सत्ता में कैसे आई। पूर्व सीएम ने हमेशा सत्ता में रहकर राजनीति की, वह पावर ड्रिवन पॉलीटिशियन हैं। उनकी पूरी राजनीति कांग्रेस में रहकर खुद को मजबूत करने की रही है। विधानसभा चुनाव 2017 में उनके अहम के कारण ही कैबिनेट मंत्री अनिल शर्मा, एसोसिएट विधायक बलबीर वर्मा,पूर्व मंत्री मेजर विजय सिंह मानकोटिया व पूर्व मेयर मधु सूद इत्यादि ने कांग्रेस छोड़ी। जबकि कांग्रेस कार्यकर्ता सरकार की कार्यप्रणाली से दुखी होने के बावजूद पार्टी छोड़कर नहीं गए। 


बकौल, सुक्खू उन्होंने कार्यकर्ताओं को पार्टी के साथ बांधे रखा। उनके नेतृत्व में कांग्रेस मजबूत हुई है। ग्राम स्तर से लेकर प्रदेश में संगठन खड़ा किया। युवा शक्ति को आगे लाए और अनुभव को तरजीह दी, इस कारण ही वीरभद्र सिंह उनका विरोध कर रहे हैं। वैसे भी विरोध करना उनका स्वभाव बन गया है। बीते 35-40 साल से वह विरोध की ही राजनीति करते आ रहे हैं, चाहे वह विरोध ठाकुर रामलाल का हो, पंडित सुखराम का, विद्या स्टोक्स का, आनंद शर्मा, कौल सिंह ठाकुर, नारायण चंद पराशर का या फिर उनका। वीरभद्र सिंह छह बार सीएम रहे, लेकिन सत्ता में रहते हुए एक बार भी प्रदेश में कांग्रेस सरकार को रिपीट नहीं कर पाए। चुनावों में हार-जीत  लोकतंत्र का हिस्सा है, यह सच्चाई है। 


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में आपके हाथ में कमान दी थी,सीएम का चेहरा भी घोषित कर दिया, फिर कांग्रेस दोबारा सरकार क्यों नहीं बना पाई। यह भी प्रदेश का इतिहास बन गया है कि जब-जब वीरभद्र सीएम रहे और उनके नेतृत्व में दोबारा चुनाव हुआ कांग्रेस को हार का ही मुंह देखना पड़ा। वह उन पर हार का ठीकरा नहीं फोड़ सकते। चूंकि, बीते लोकसभा चुनाव में चारों उम्मीदवार उनकी मर्जी के थे, फिर भी सभी सीटें हारी। सुजानपुर व भोरंज विधानसभा उपचुनाव में उनकी पसंद के उम्मीदवारों को हार मिली। यहां तक कि शिमला नगर निगम चुनाव में शिमला ग्रामीण के तीनों वार्ड में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। 


2017 के विधानसभा चुनाव में 56 टिकट उनकी मर्जी से बांटी गईं, जबकि जीत मात्र 15 पर मिली। संगठन के कोटे में तो सिर्फ12 टिकट मिले और उसमें से छह उम्मीदवार जीतकर विधायक बने हैं। इन सीटों पर कांग्रेस 30 साल से हार रही थी। सुक्खू ने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चारों सीटों पर न केवल भाजपा को कड़ी टक्कर देगी, बल्कि जीत भी दर्ज करेगी। इसके लिए वीरभद्र सिंह को भी बयानबाजी से बचकर संगठन के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरना होगा।  

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