Edited By Vijay, Updated: 02 Oct, 2018 10:25 PM
सहकारिता विभाग में एक आई.पी.एस. अधिकारी की पत्नी के डैपुटेशन के मामले पर विवाद पैदा हो गया है। यह मामला इंटर स्टेट डैपुटेशन का बताया जा रहा है। इसके तहत झारखंड सरकार से बतौर सहायक पंजीयक सेवाएं दे रही एक महिला अधिकारी डैपुटेशन पर शिमला पहुंच गई।
शिमला: सहकारिता विभाग में एक आई.पी.एस. अधिकारी की पत्नी के डैपुटेशन के मामले पर विवाद पैदा हो गया है। यह मामला इंटर स्टेट डैपुटेशन का बताया जा रहा है। इसके तहत झारखंड सरकार से बतौर सहायक पंजीयक सेवाएं दे रही एक महिला अधिकारी डैपुटेशन पर शिमला पहुंच गई। सूत्रों के अनुसार महिला अधिकारी को झारखंड सरकार की तरफ से पदमुक्त भी कर दिया गया है लेकिन उसे अब तक शिमला में ज्वाइनिंग नहीं मिल पाई है। सूत्रों का यह भी कहना है कि इस मामले में प्रदेश के बड़े अधिकारी के आग्रह पर झारखंड सरकार ने महिला अधिकारी को पदमुक्त किया है।
बड़े अधिकारी ने मंत्री को भी नहीं दी अहमियत
उल्लेखनीय है कि सरकार में सरकारी कामकाज निपटाने के लिए बाकायदा रूल्ज ऑफ बिजनैस बने हुए हैं। इन नियमों में सरकार की हर कर्मचारी एवं अधिकारी की कार्य शक्तियां परिभाषित हैं। इसके तहत हर विभाग में इस आशय का स्टैंडिंग ऑर्डर भी रहता है। यानी विशेष परिस्थितियों में फाइल संबंधित विभाग के सचिव, मंत्री और मुख्यमंत्री तक को जाती है। जहां तक सहकारिता विभाग का मामला है तो किसी को डैपुटेशन पर भेजने और सेवाएं लेने का फैसला मंत्री के स्तर पर हो सकता है। हैरानी इस बात की है कि संबंधित मामले को लेकर एक बड़े अधिकारी ने मंत्री को भी अहमियत नहीं दी।
क्या कहते हैं प्रधान सचिव
प्रधान सचिव संजय गुप्ता से जब इस बारे संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है। उनके पास ऐसा कोई मामला नहीं आया है।