Edited By Ekta, Updated: 05 Aug, 2018 10:30 AM
बढ़ता प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनने लगा है। कुछ प्रदेशों में औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला दूषित पानी प्राकृतिक जल स्रोतों को खराब कर रहा है। बड़े स्तर पर उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित पानी की वजह से हर जगह समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इससे...
ऊना (सुरेन्द्र): बढ़ता प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनने लगा है। कुछ प्रदेशों में औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला दूषित पानी प्राकृतिक जल स्रोतों को खराब कर रहा है। बड़े स्तर पर उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित पानी की वजह से हर जगह समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इससे नदी-नालों का वह पानी भी खराब हो रहा है, जो प्राकृतिक तरीके से बह रहे हैं। हिमाचल-पंजाब के बॉर्डर पर स्वां नदी में प्रदूषित पानी आने से कई मछलियां मौत का शिकार हो गईं। शुक्रवार को नानगरां में मछलियां मरने के बाद पंजाब और हिमाचल के प्रदूषण बोर्ड अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया और सैंपल भरे हैं। यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि बड़े स्तर पर उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित पानी के खड्डों और नदी-नालों में आने से परेशानियां उत्पन्न होने लगी हैं।
औद्योगिक क्षेत्र में मौजूद उद्योगों के लिए यूं तो कड़े कायदे-कानून हैं। इनमें ट्रीटमैंट प्लांट स्थापित कर पूरी तरह से ट्रीट किया हुआ पानी ही निकालने की अनुमति होती है परन्तु कई बार ट्रीटमैंट प्लांट पूरी तरह से संचालित नहीं किए जाते, जिसकी वजह से बिना ट्रीट किए हुए पानी ही छोड़ दिया जाता है। यह पानी अनेक बीमारियों को न्यौता देता है। हालांकि उद्योग इन आरोपों को निराधार करार देते हैं। हालांकि इस विषय को लेकर आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है। स्वां नदी के पंजाब क्षेत्र में बड़ी तादाद में मरी मछलियों के बाद पंजाब प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों ने इसके लिए हिमाचल के उद्योगों के प्रदूषित जल को जिम्मेदार ठहराया है।
मैहतपुर औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले नाले में बहने वाले बदबूदार प्रदूषित पानी से न केवल कस्बा मैहतपुर के लोग, बल्कि 12 गांवों के लोग परेशान हैं। शनिवार को जब होली नाले की वस्तुस्थिति देखी गई तो वहां प्रदूषित पानी वहां की वास्तविक स्थिति को बयां कर रहा था। काले पानी की वजह से आसपास के तमाम गांवों के लोग परेशान हैं। मैहतपुर निवासी तेजपाल का कहना है कि होली नाले के बदबूदार पानी से लोग परेशान हैं। इस समस्या के शीघ्र समाधान की मांग की है। ग्राम पंचायत देहलां के प्रधान देवेन्द्र कौशल का कहना है कि होली नाले को पाइप डालकर अंडरग्राऊंड कर देना चाहिए। वहीं पंचायत प्रधान बाथू के.के. राणा का कहना है कि क्षेत्र के कई उद्योगों में दूषित पानी की उचित निकासी न होने के कारण कभी भी महामारी फैल सकती है।
अंडरग्राऊंड किया गया है नाला
नगर पंचायत मैहतपुर-बसदेहड़ा की चेयरपर्सन मंजू चंदेल का कहना है कि यहां प्रदूषित जल की कोई समस्या नहीं है। होली नाले को चड़तगढ़ तक अंडरग्राऊंड कर दिया गया है। इससे आगे नाला खुला है।
पंजाब की फैक्टरियों से ही निकलता है प्रदूषित पानी
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के ऊना स्थित एक्सियन एस.के. धीमान ने कहा है कि स्वां नदी के पंजाब क्षेत्र में मछलियां मरने की घटना के बाद प्रदूषण बोर्ड की हिमाचल टीम ने उस क्षेत्र का दौरा किया है। पूरे क्षेत्र का दौरा करने के बाद पाया गया है कि नानगरां के निकट पंजाब (नंगल) के भलड़ी क्षेत्र में एक नाला स्वां नदी में मिलता है। इस नाले में नंगल (पंजाब) की औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषित पानी बहता है। पूरे क्षेत्र की जांच के बाद पाया गया है कि यह नाला स्वां के जिस हिस्से में मिलता है, उसके आगे ही मछलियों के मरने का यह मामला सामने आया है। इसके पीछे स्वां नदी के किसी भी हिस्से में न तो कोई मछली मरने और न कोई प्रदूषण फैलने का मामला हुआ है। इस संबंध में रिपोर्ट भी तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है।