बड़े जिले की जिप सरदारी को सत्तारूढ़-विपक्ष की मुख्यालय में मंत्रणा

Edited By prashant sharma, Updated: 28 Jan, 2021 10:45 AM

consultation of big district s zip sardari at headquarters of ruling opposition

प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में जिला परिषद की सरदारी को कब्जाने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ समारोह समाप्त होने के बाद धर्मशाला में मंत्रणा की।

धर्मशाला (जिनेश कुमार/तनुज सैणी) : प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में जिला परिषद की सरदारी को कब्जाने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ समारोह समाप्त होने के बाद धर्मशाला में मंत्रणा की। वहीं, कांगड़ा दुर्ग को फतेह करने के लिए मुख्यमंत्री का शुक्रवार को धर्मशाला का प्रस्तावित दौरे की सूचनाएं राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री भी सबसे बड़े जिला के जिप कमान को सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में करने के लिए लगातार जिला के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क साध रहे हैं। साथ ही जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनावों के दौरान स्वयं धर्मशाला में रहकर हर गतिविधि पर नजर रखते हुए पार्टी की जीत को सुनिश्चित करवाने को अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।  विधानसभा में राजनीतिक पार्टियों को सत्ता का रास्ता दिखाने वाला कांगड़ा जिला में मिनी विधानसभा के इन चुनावों को अहम मानते हुए दोनों ही पार्टियां अपने-अपने बहुमत को लेकर दावा ठोंक रही है।

आजाद सदस्य का रहेगी बहुमत दिलाने में अहम भूमिका

अपनी ही पार्टी से रूष्ट होकर तथा आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ कर जीत हासिल करने वाले सदस्यों का आंकड़ा राजनीतिक पार्टियों को बहुमत साबित करने के लिए चुनौती बना है। भाजपा पार्टी से नाराज होकर आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने व जीत हासिल करने वाले सदस्यों को घर वापसी करने की बात कह रही है, जबकि कांग्रेस आजाद उम्मीदवारों को अपने साथ खड़ा करने का दावा ठोक रही है। कांग्रेस नेताओं की मानें तो बीजेपी से रूष्ट चले इन कार्यकर्ताओं के साथ उनका संपर्क बना हुआ है और चुनावों में भी जनता ने भाजपा को झटका देते हुए कांग्रेस समर्थित अधिक उम्मीदवारों को जिताया है। वहीं, जिला परिषद (मिनी विधानसभा) के चुनावों के सहारे दोनों ही राजनीतिक पार्टियां विधानसभा-2022 की नैया को पार करने के लिए जोड़-तोड़ में जुट गई हैं। जिला परिषद की कमान संभालने के साथ ही पार्टियां विधानसभा में भी पार्टी उम्मीदवारों को सशक्त करने के लिए दम भर रही हैं। हालांकि दोनों पार्टियां अपने अधिक समर्थकों के होने के दावे तो कर रही हैं लेकिन सदस्यों के आंकड़े की स्थिति स्पष्ट करने से कतरा रही हैं।

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