Edited By Punjab Kesari, Updated: 04 Nov, 2017 06:43 PM
शिमला: हिमाचल प्रदेश में बंदरों के आतंक से किसानों ने खेती करना छोड़ दिया है। बंदरों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। बंदरों के समूह किसानों के खेतों में उगने वाली फसल को तबाह कर देते हैं वहीं इसके बाद कोई कसर रह जाए तो फसल के पक्क जाने पर उसे तबाह...
शिमला: हिमाचल प्रदेश में बंदरों के आतंक से किसानों ने खेती करना छोड़ दिया है। बंदरों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। बंदरों के समूह किसानों के खेतों में उगने वाली फसल को तबाह कर देते हैं वहीं इसके बाद कोई कसर रह जाए तो फसल के पक्क जाने पर उसे तबाह कर देते हैं। हिमाचल प्रदेश में नौ नवंबर को होने वाले चुनाव में राजनीतिक पार्टियां बंदरों से निजात दिलाने के दावे कर रहीं हैं। इस मसले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस मतदाताओं को राहत पहुंचाने का वादा कर रही हैं।
अढ़ाई हजार के करीब किसान बंदरों के आतंक से परेशान
गौरतलब है कि पहाड़ी राज्य हिमाचल के करीब अढ़ाई हजार के करीब किसान बंदरों के आतंक से परेशान हैं। प्रचार अभियान के दौरान भाजपा के सीएम कैंडिडेट प्रेम कुमार धूमल ने कांग्रेस सरकार पर बंदरों की नसबंदी के अभियान को प्रभारी ढंग से न चलाने का आरोप दागा है। जिससे इनकी तादाद में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से नहीं चलाया गया है। इससे प्रतीत हो हो रहा है कि इनकी संख्या कम होने की बजाय बढ़ रही है।
समस्या से निपटने के लिए आश्यक कदम उठाएंगे
धूमल ने कहा, हम किसानों को खेतों के चारों और नेट लगाने के लिए प्रेरित करेंगे। हम गांवों और शहरों में इस समस्या से निपटने के लिए आश्यक कदम उठाएंगे, ताकि किसानों और शहरियों को इनसे छुटकारा मिल सके। ऊना से किस्मत आजमा रहे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार समस्या पर काबू पाने में नाकाम रही। सत्ती ने कहा कि नसबंदी के लिए बंदरों को पकडऩे पर करोड़ों रूपये खर्च किए गए लेकिन उनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है।
चलाया गया है अभियान
उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा, ‘‘हमने नसंबदी अभियान चलाया और दूसरे कदम भी उठाए । हम इस समस्या पर काबू पाने के लिए और कदम उठाएंगे ।’’ वर्ष 2015 में बंदरों की गणना के मुताबिक शिमला नगर निगम क्षेत्र में ही 2400 से ज्यादा बंदर थे और जंगल के आठ स्थानों को इसके लिए चिन्हित किया गया है।