Edited By Ekta, Updated: 25 Dec, 2018 11:23 AM
हिमाचल की सियासत में कहा जाता है कि सत्ता का पथ कांगड़ा से होकर गुजरता है, इस लिहाज से 2019 के चुनाव में कांगड़ा-चम्बा लोकसभा सीट पर सत्तारूढ़ भाजपा और हाल ही में 3 राज्यों में सत्ता मिलने के चलते नए जोश से लबरेज कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर होगी।...
धर्मशाला/पालमपुर (सौरभ/भृगु): हिमाचल की सियासत में कहा जाता है कि सत्ता का पथ कांगड़ा से होकर गुजरता है, इस लिहाज से 2019 के चुनाव में कांगड़ा-चम्बा लोकसभा सीट पर सत्तारूढ़ भाजपा और हाल ही में 3 राज्यों में सत्ता मिलने के चलते नए जोश से लबरेज कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। हालांकि अभी दोनों दलों ने लोकसभा के रण में अपने योद्धा तय करने की रणनीति पर काम शुरू नहीं किया है लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद से दोनों दलों के आला नेताओं में लगातार कोल्ड वार चल रहा है। जहां भाजपा में असमंजस की स्थिति बनी है वहीं कांग्रेस में कई दावेदार सामने आ रहे हैं। 2014 के चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने 17 विधानसभा हलकों वाली इस सीट पर 57 फीसदी वोट लेकर भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी। अबकी बार शांता चुनाव लड़ेंगे कि नहीं, भाजपा में यह बड़ा सवाल बना हुआ है। हालांकि शांता के चुनाव न लडऩे की सूरत में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष त्रिलोक कपूर ने खुलकर अपनी दावेदारी पेश कर दी है।
एक महिला नेत्री और गद्दी समुदाय से आने वाले एक अन्य नेता भी टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। दूसरी ओर गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट कर दमदार प्रत्याशी उतारने की है जो इस हॉट सीट पर भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके। बीते लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने वाले चंद्र कुमार का दावा इस बार कमजोर पडऩे के बाद इतना तो लगभग तय है कि पार्टी इस बार नया उम्मीदवार उतारेगी लेकिन सर्वमान्य और दमदार प्रत्याशी का चयन करना फिलवक्त पार्टी की सबसे बड़ी ङ्क्षचता है। कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी चुनाव लड़ने की इच्छा आलाकमान के समक्ष जता चुके हैं जबकि पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा और गुरमुख सिंह बाली का नाम भी दावेदारों में लिया जा रहा है लेकिन दोनों नेताओं ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
मंत्रियों की परफॉर्मेंस का लिटमस टैस्ट
2019 के लोकसभा चुनाव में कांगड़ा-चम्बा लोकसभा सीट पर कांगड़ा जिले से भाजपा के 3 मंत्रियों विपिन परमार, किशन कपूर और सरवीण चौधरी की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। तीनों मंत्रियों पर जिले में पार्टी को बढ़त दिलवाने का दारोमदार होगा। इस चुनाव के परिणाम उनकी डेढ़ साल की परफॉर्मेंस का भी लिटमस टैस्ट होंगे, क्योंकि खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर यह कह चुके हैं कि मंत्रियों की परफॉर्मैंस के आधार पर मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है।
गद्दी समुदाय ने भी ठोकी ताल
कांगड़ा-चम्बा के गद्दी समुदाय ने आगामी लोकसभा चुनाव में अपने समुदाय का उम्मीदवार उतारने के लिए दोनों दलों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। लोकसभा हलके में करीब 3.50 लाख मतदाता इस समुदाय से है। गद्दी समुदाय अगले साल 9 फरवरी को बाकायदा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनाने जा रहा है। यहां दीगर है कि भाजपा के गद्दी नेता त्रिलोक कपूर टिकट के लिए दावेदारी पेश कर अपना जनसंपर्क अभियान भी छेड़ चुके हैं, वहीं कांग्रेस में भी भरमौर के पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी भी अपने समर्थकों संग आलाकमान से टिकट की पैरवी कर चुके हैं और लगातार पूरे हलके में सक्रिय हैं।
भाजपा की परेशानी
सांसद शांता कुमार की न नुकर ने भाजपा की परेशानी को बढ़ाया है। यद्यपि अंतिम निर्णय उन्होंने पार्टी पर छोड़ा है परंतु बड़े कद के कारण कोई भी अन्य नाम खुलकर अपनी दावेदारी नहीं जता रहा है।
कांग्रेस की परेशानी
जी.एस. बाली तथा सुधीर शर्मा प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं परंतु दोनों ही नेताओं की खींचतान जगजाहिर है जबकि जातीय समीकरणों के आधार पर चंद्र कुमार को भी हलके से नहीं लिया जा सकता है।