CM जयराम को आया हाईकमान का बुलावा, मंत्रिमंडल की प्लानिंग के साथ जल्द जाएंगे दिल्ली

Edited By Vijay, Updated: 02 Jun, 2020 10:07 PM

cm jairam will soon go to delhi with cabinet planning

कोरोना संकट के कठिन दौर से गुजर रहे हिमाचल प्रदेश में शीघ्र मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसके साथ ही राज्य के कुछ बड़े नेताओं और संगठन में काम करने वालों को सरकार में एडजस्ट किया जा सकता है। ये संभावनाएं इसलिए भी प्रबल हुई हैं क्योंकि...

शिमला (ब्यूरो): कोरोना संकट के कठिन दौर से गुजर रहे हिमाचल प्रदेश में शीघ्र मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसके साथ ही राज्य के कुछ बड़े नेताओं और संगठन में काम करने वालों को सरकार में एडजस्ट किया जा सकता है। ये संभावनाएं इसलिए भी प्रबल हुई हैं क्योंकि सत्तारुढ़ दल के भीतर सियासी उथल-पुथल शुरू हो गई है। सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान ने राज्य के सियासी हालातों को भांपते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पूरी योजना के साथ आगामी दिनों में दिल्ली आने को कह दिया है। इसे देखते हुए प्रदेश में शीघ्र मंत्री के 3 पद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के साथ सार्वजनिक उपक्रमों में ताजपोशियां होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

मंत्रिमंडल विस्तार से पहले हो सकती है नए अध्यक्ष की घोषणा

सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल विस्तार से पहले नए अध्यक्ष की घोषणा की जा सकती है। प्रदेशाध्यक्ष पद की घोषणा हालांकि पार्टी आलाकमान अपने स्तर पर करेगा, लेकिन उससे पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ चर्चा की जाएगी। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार हाईकमान मुख्यमंत्री के साथ निवर्तमान अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के इस्तीफे के मुद्दे पर एक बार विस्तार से चर्चा करना चाहता है और नए अध्यक्ष को लेकर शॉर्टलिस्ट किए गए नामों पर उनकी राय जानना चाहता है।

कैसे खाली हुए मंत्री पद

प्रदेश मंत्रिमंडल में इस समय मंत्री के 3 पद खाली हैं। ये पद अनिल शर्मा, किशन कपूर और विपिन सिंह परमार के मंत्रिमंडल से अलग-अलग अंतराल पर त्यागपत्र देने के कारण खाली हुए हैं। इसके तहत ऊर्जा मंत्री के पद से सबसे पहले अनिल शर्मा ने लोकसभा चुनाव के समय तब मंत्री पद को छोड़ा, जब कांग्रेस पार्टी ने उनके पुत्र आश्रय शर्मा को मंडी संसदीय क्षेत्र से टिकट थमा दिया था। इसके बाद भाजपा की तरफ से लोकसभा चुनाव में किशन कपूर को कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारे जाने पर उन्हें मंत्री पद को छोडऩा पड़ा। मंत्री की तीसरी सीट विपिन सिंह परमार के त्यागपत्र के कारण खाली हुई जब विपिन सिंह परमार को डॉ. राजीव बिंदल के स्थान पर उस समय विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया, जब ङ्क्षबदल ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए यह पद छोड़ दिया था।

मंत्री पद की रेस में राकेश पठानिया सबसे आगे

मंत्री पद के लिए एक समय डॉ. राजीव बिंदल का नाम प्रबल दावेदारों में से एक था लेकिन जिस स्थिति का हवाला देते हुए उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद छोड़ा है, उसे देखते हुए उनके मंत्री बनने की संभावनाएं नहीं हैं, ऐसे में कांगड़ा जिला से राकेश पठानिया मंत्री पद की रेस में इस समय सबसे आगे हैं। दूसरे मंत्री पद के लिए सिरमौर जिला से सुखराम चौधरी के नाम पर मोहर लग सकती है, क्योंकि डॉ. राजीव बिंदल के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद छोडऩे के बाद क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। तीसरे मंडी से कर्नल इंद्र सिंह को मंत्री बनाए जाने की संभावना है, क्योंकि पहले इसी जिला से मंत्री का पद खाली हुआ है। हालांकि सुंदरनगर से पहली बार विधायक बने राकेश जम्वाल को कैबिनेट में राज्य मंत्री के रूप में शामिल करने की कोशिशें भी जारी हैं। इसके अलावा मौजूदा मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी किया जा सकता है, जिसमें पिछले अढ़ाई साल की परफॉर्मैंस को आधार बनाते हुए एक-दो मंत्रियों के विभागों में पूर्ण फेरबदल किया जा सकता है।

अध्यक्ष पद के लिए इन नेताओं के आगे आ रहे नाम

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए इस समय रणधीर शर्मा, त्रिलोक जम्वाल और राम सिंह के नाम आगे आ रहे हैं। अगर हाईकमान मंत्रिमंडल से किसी चेहरे को पार्टी अध्यक्ष बनाता है उनमें इस समय उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर के नाम की चर्चा है। इसी तरह महिला को प्रतिनिधित्व दिए जाने की स्थिति में हाल ही में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुईं इंदु गोस्वामी के विकल्प पर भी चर्चा हो सकती है, वहीं इन दिनों कांगड़ा से अगला प्रदेशाध्यक्ष बनाने की मांग भी तूल पकड़ती जा रही है। कांगड़ा में इस पद के लिए इंदु गोस्वामी के अलावा पूर्व सांसद कृपाल परमार, डॉ. राजीव भारद्वाज के अलावा पूर्व मंत्री रविंद्र सिंह रवि का नाम भी कुछ दिन पहले चर्चा में आया है। बताया जाता है कि धूमल खेमा रवि को इस पद का उपयुक्त दावेदार मान रहा है। रविंद्र सिंह रवि 5 बार विधायक और 2 बार मंत्री रह चुके हैं लेकिन इस बार पार्टी के कुछ लोगों के भीतरघात के कारण देहरा से चुनाव हार गए थे।

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