CM जयराम बोले-जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है हिमाचल सरकार

Edited By Vijay, Updated: 10 Jan, 2020 06:33 PM

cm jairam thakur in meeting of tac

राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रह है ताकि इनका विकास भी प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तरह सुनिश्चित किया जा सके। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह बात जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की 47वीं बैठक की अध्यक्षता...

शिमला (योगराज): राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रह है ताकि इनका विकास भी प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तरह सुनिश्चित किया जा सके। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह बात जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की 47वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि एकल प्रशासन प्रणाली अपनाने के बाद जनजातीय सलाहकार परिषद द्वारा जनजातीय क्षेत्रों के लोगों के विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए गए हैं। जनजातीय क्षेत्रों के सम्पूर्ण विकास के लिए प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के बजट का 9 प्रतिशत जनजातीय उपयोजना के लिए निर्धारित किया गया है। वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान जनजातीय उपयोजना के तहत 904 करोड़ योजना तथा 831 करोड़ रुपए गैर-योजना के तहत आबंटित किए गए हैं।
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उन्होंने कहा कि  जनजातीय क्षेत्रों में 144.17 करोड़ रुपए भवनों, सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए, 169.37 करोड़ रुपए शिक्षा क्षेत्र, 99.42 करोड़ रुपए स्वास्थ्य क्षेत्र और 59.54 करोड़ रुपए सिंचाई व पेयजल आपूर्ति योजनाओं के लिए निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जनजातीय क्षेत्रों के लोगों की सुविधा के लिए हैलीकॉप्टर की नियमित उड़ानें भी सुनिश्चित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष जनजातीय क्षेत्रों में हैलीकॉप्टर की 71 उड़ानें सुनिश्चित की गईं, जिससे 2303 लोग लाभान्वित हुए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2018-19 में जनजातीय क्षेत्रों में हैलीकॉप्टर सेवाओं के लिए सबसिडी प्रदान करने का मामला जनजातीय कार्य मंत्रायल भारत सरकार से उठाया था और राज्य को इसके लिए 4 करोड़ रुपए सबसिडी के रूप में प्राप्त हुए। वित्त वर्ष 2019-20 में भी केन्द्र सरकार ने इसके लिए 4 करोड़ रुपए प्रदान किए हैं। 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 के दौरान राज्य सरकार की पहल पर जनजातीय क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों के लिए केन्द्रीय जनजातीय विकास मंत्रालय से 70 करोड़ रुपए की सहायता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बॉर्डर एरिया डिवैल्पमैंट प्रोग्राम) के तहत राज्य सरकार वर्ष 2017-18 में 10 करोड़ और वर्ष 2018-19 में 8.45 करोड़ रुपए प्राप्त करने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को वर्ष 2019-20 में संविधान के अनुच्छेद-275 (1) के तहत 67 करोड़ रुपए विशेष केन्द्रीय सहायता के रूप में प्रदान किए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में 3 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्वीकृत करवाने में सफल रही है। इन स्कूलों को भरमौर, पांगी और लाहौल में खोला गया है। उन्होंने कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इन स्कूलों के भवनों के निर्माण के लिए 56 करोड़ रुपए प्रदान किए जाएंगे, जिसमें से अभी तक 33.66 करोड़ रुपए प्राप्त हो चुके हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भरमौर और पांगी जनजातीय क्षेत्रों के लिए टैली-मैडीसिन सुविधा प्रदान की है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018-19 में 2 करोड़ विशेष सहायता के रूप में दिए जबकि इस वर्ष के लिए 1.74 करोड़ रुपए अनुमोदित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के लोगों की सुविधा के लिए केलांग, काजा और पूह में भी टैली-मैडीसिन सुविधा आरम्भ की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि किन्नौर और स्पीति में जनजातीय लोगों की सुविधा के लिए रामपुर में 6.79 करोड़ रुपए की लागत से जनजातीय भवन का निर्माण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने 3 जून, 2000 को केलांग दौरे के दौरान जनजातीय क्षेत्र लाहौल-स्पीति को हर मौसम के दौरान देश से जोडऩे के लिए रोहतांग सुरंग के निर्माण की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लाहौल-स्पीति और पांगी क्षेत्र के लोगों को सुविधा प्रदान करने के लिए इस सुरंग का शीघ्र ही लोकार्पण करेंगे। उन्होंने कहा कि अब इस सुरंग का नाम ‘अटल टनल’ रखा गया है। उन्होंने जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक नियमित रूप से आयोजित करने का आश्वासन दिया और कहा कि बैठक में लिए गए निर्णयों के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ और एफआरए के मामलों के निवारण के लिए कदम उठाए जाएंगे।

बैठक में कृषि एवं जनजातीय विकास मंत्री डॉ. राम लाल मारकंडा ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा वर्ष 1977 में परिषद का गठन किया गया और 1978 में परिषद की पहली बैठक आयोजित की गई। उन्होंने जनजातीय क्षेत्रों के विकास एवं जनजातीय लोगों के कल्याण में गहरी रुचि के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। सांसद राम स्वरूप शर्मा ने जनजातीय क्षेत्रों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में बेहतर संचार सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।

किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने पर बल देते हुए कहा कि निर्बाध विद्युत आपूर्ति उपलब्ध करवाने के लिए पर्याप्त मात्रा में तारें, खम्भे और अन्य उपकरण सुनिश्चित किए जाने चाहिए। उन्होंने जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ मामले के शीघ्र निपटारे के लिए भी आग्रह किया। भरमौर के विधायक जिया लाल कपूर ने क्षेत्र के विभिन्न संस्थानों में पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध करवाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय खणी के भवन के शीघ्र निर्माण के लिए भी आग्रह किया। इससे पूर्व जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्यों को शपथ भी दिलाई गई।

इस अवसर पर जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्यों ने भी अपने सुझाव दिए। परिषद के लगभग सभी सदस्यों ने जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ मामले के शीघ्र निवारण और जनजातीय क्षेत्रों में बेहतर सड़क सुविधा सुनिश्चित करने की आश्यकता पर बल दिया। प्रधान सचिव जनजातीय विकास ओंकार शर्मा ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री व अन्य गणमान्य लोगों का स्वागत किया। विशेष सचिव जनजातीय विकास सीपी वर्मा ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया। बैठक में उपाध्यक्ष राज्य वन विकास निगम सूरत नेगी, मुख्य सचिव अनिल कुमार खाची, अतिरिक्त मुख्य सचिव राम सुभग सिंह, मनोज कुमार व आरडी धीमान, प्रधान सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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