Edited By Vijay, Updated: 29 Nov, 2018 11:54 PM
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि सी.बी.आई. को सौंपने से पहले छात्रवृत्ति घोटाला मामले की प्रीलिमिनरी इन्वैस्टीगेशन करवाई जाएगी। इसके बाद यह मामला सी.बी.आई. को सौंपा जाएगा। शिमला में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने बताया कि...
शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि सी.बी.आई. को सौंपने से पहले छात्रवृत्ति घोटाला मामले की प्रीलिमिनरी इन्वैस्टीगेशन करवाई जाएगी। इसके बाद यह मामला सी.बी.आई. को सौंपा जाएगा। शिमला में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने बताया कि सी.बी.आई. ने पहले इस मामले को लेने से मना कर दिया है। सी.बी.आई. ने सरकार को इस मामले पर पहले एफ.आई.आर. दर्ज करवाने को कहा था, इसके बाद शिक्षा विभाग ने मामले पर एफ.आई.आर. दर्ज करवाई। इस मामले में अब प्रीलिमिनरी इन्वैस्टीगेशन करवाई जाएगी। इन्वैस्टीगेशन में जो तथ्य सामने आएंगे, उन्हें सी.बी.आई. को भेजा जाएगा।
कैबिनेट ने लिया था सी.बी.आई. से जांच करवाने का फैसला
उन्होंने बताया कि छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने पर कैबिनेट ने इस मामले की इन्वैस्टीगेशन सी.बी.आई. से करवाने का फैसला लिया था। इसके चलते यह मामला सी.बी.आई. को भी भेजा गया था, लेकिन सी.बी.आई. ने इसे सरकार को वापस भेज दिया और इसमें नजदीकी थाने में एफ.आई.आर. दर्ज करवाने को कहा था। इसके बाद शिक्षा विभाग ने 250 करोड़ से अधिक के इस छात्रवृत्ति घोटाले पर एफ.आर.आर. दर्ज करवाई।
घोटाले में राज्य व बाहर के शिक्षण संस्थान शामिल
इस घोटाले में प्रदेश व बाहरी राज्यों के सैंकड़ों शिक्षण संस्थान शामिल हैं। हिमाचल के अलावा इसमें पंजाब, दिल्ली व हरियाणा के निजी शिक्षण संस्थानों का फर्जीवाड़ा सामने आया है। छात्रों के नाम पर संस्थानों ने करोड़ों की छात्रवृत्ति हड़पी है, जिसका रिकॉर्ड शिक्षा विभाग के पास भी नहीं है। इस घोटाले में ऐसे संस्थान भी सामने आए हैं, जहां सीटें कम थीं लेकिन छात्रवृत्ति की राशि हड़पने के लिए संस्थानों ने इसमें सीटों की संख्या ज्यादा दर्शाई है।