Edited By Ekta, Updated: 12 Apr, 2019 04:48 PM
हिमाचल सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल शर्मा के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का पहला बयान सामने आया है। जहां जयराम ने कहा कि मुझे लगता है कि बहुत दिनों से मंडी लोकसभा क्षेत्र चर्चा का विश्व बना था। पार्टी के प्रत्याशी जो कांग्रेस पार्टी से...
मंडी (ब्यूरो): हिमाचल सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल शर्मा के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का पहला बयान सामने आया है। जहां जयराम ने कहा कि मुझे लगता है कि बहुत दिनों से मंडी लोकसभा क्षेत्र चर्चा का विश्व बना था। पार्टी के प्रत्याशी जो कांग्रेस पार्टी से हैं उनके पिता जी हमारे मंत्रिमंडल में थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने अनिल शर्मा से एक बात जरूर कही थी कि आपके बेटे को कांग्रेस पार्टी का टिकट मिला इससे हमें कोई एतराज नहीं। ऐसी स्थिति में आपकी भूमिका स्पष्ट रहनी चाहिए। हमारी और से आप भाजपा के सदस्य हैं। साथ ही नैतिकता के आधार पर पार्टी से आपको निकलना चाहिए। अनिल शर्मा ने कहा था कि बेटे को अगर टिकट मिलता है तो मैं उनके लिए भी काम नहीं करूंगा और कांग्रेस पार्टी के लिए भी नहीं करूंगा।
जयराम ने कहा कि हमें यह भी लगा कि वो धर्मसंकट में हैं। ऐसी परिस्थिति में उनको ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए। जैसे ही उनको टिकट मिला। उसके बाद हमें जानकारियां हासिल होती रही। जिन-जिन लोगों से वो मिलते रहे उनसे इतना कहते रहे कि कांग्रेस के जो प्रत्याशी आश्रय शर्मा हैं उनको स्पॉट करना। सीएम ने कहा कि अनिल शर्मा ने अपने ही भाजपा के साथी से कहा कि हम आपके साथ पार्टी में आए। अब हमारे लिए यह संभव नहीं है बार-बार आना-जाना अच्छा नहीं लग रहा। जयराम ठाकुर ने कहा कि अनिल शर्मा ने यह कहा था कि वह किसी के लिए काम नहीं करेंगे, लेकिन वह अपनी ईमानदारी नहीं निभा सके और जो भी परिस्थितियां आज निर्मित हुई हैं यह उन्हीं की देन है।
जयराम वह किसी भी सूरत में यह बर्दाशत नहीं कर सकते थे कि उनका कैबिनेट सहयोगी कांग्रेस के लिए काम करे। जयराम ठाकुर ने कहा कि अनिल शर्मा ने भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा और जीता है। कायदे से वह भाजपा के विधायक हैं और यह भविष्य में तय होगा कि संगठन इस पर क्या निर्णय लेता है। उन्होंने कहा कि एक भाजपा विधायक होने के नाते वह कांग्रेस के लिए काम नहीं कर सकते क्योंकि दलबदलू कानून के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता। यदि अनिल शर्मा ऐसा करते हैं तो उन्हें अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ेगा।