जूतों के बीच बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर बच्चे, एक कमरे में चल रहा स्कूल (Video)

Edited By Ekta, Updated: 19 Feb, 2019 11:17 AM

प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग की कथित लापरवाही के चलते राजकीय माध्यमिक पाठशाला कथेड़ में बच्चे जूतों के बीच में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हो गए हैं। हालात यह है कि पिछले तीन वर्षों से यह स्कूल महिला मंडल के एक छोटे से कमरे में चला हुआ है। इस...

सोलन (पाल): प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग की कथित लापरवाही के चलते राजकीय माध्यमिक पाठशाला कथेड़ में बच्चे जूतों के बीच में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हो गए हैं। हालात यह है कि पिछले तीन वर्षों से यह स्कूल महिला मंडल के एक छोटे से कमरे में चला हुआ है। इस कमरे में 15 से 20 छात्रों के बैठने की क्षमता है लेकिन इसमें 40 छात्र बैठने को मजबूर है।
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हैरानी की बात यह है कि उपनिदेशक कार्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्कूल के छात्रों की दयनीय स्थिति के बारे में जानने का किसी ने प्रयास नहीं किया। सुरक्षा की दृष्टि से यह स्कूल सेफ नहीं है जिस भवन में यह स्कूल चल रहा है उसके बाहर ट्रक व गाड़ियां मुड़ती रहती है। यही कारण है कि बाहर भी कक्षाएं लगाई नहीं जा सकती। बच्चे अपने जूते बाहर भी नहीं खोल सकते है साथ ही सड़क होने के कारण जूतों के चोरी होने का डर भी रहता है। 
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जून 2016 में खुला था मिडिल स्कूल

जून 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजकीय प्राथमिक पाठशाला कथेड़ को अपग्रेड कर मिडिल का दर्जा दिया था। शिक्षा विभाग इस पाठशाला के लिए अभी तक आवश्यक भवन की व्यवस्था नहीं कर सका।

बिल्डिंग के निर्माण के लिए केवल 9 लाख रुपए

स्कूल के भवन के लिए प्राथमिक पाठशाला के साथ ही आई.पी.एच. विभाग की भूमि शिक्षा विभाग को ट्रांसफर की गई है। यही नहीं तीन कमरों के निर्माण के लिए 9 लाख रुपए का बजट भी जारी हो गया है। बी.एस.एन.एल. को इसके निर्माण का ठेका दिया गया है लेकिन यह बजट काफी कम है और बी.एस.एन. ने अभी तक इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है।

दूसरे जगह रखने पड़े है स्कूल के डैस्क

राजकीय माध्यमिक पाठशाला कथेड़ में बच्चों के बैठने के लिए 20 डैस्क है लेकिन स्कूल में इन्हें रखने की व्यवस्था नहीं है क्योंकि यह स्कूल एक छोटे से कमरे में चल रहा है। यही कारण है कि स्कूल प्रशासन ने इन सभी डैस्क को निजी भवन में शि ट कर दिया है ताकि बच्चे जमीन पर ही आराम से बैठ सके। 

31 दिस बर को खाली करवाया कमरा

यह स्कूल महिला मंडल के भवन के अलावा एक निजी मकान के हॉल में चल रहा था। इस हॉल में दो कक्षाएं चलती थी जबकि एक महिला मंडल भवन में चल रही थी। निजी मकान मालिक ने इस हॉल को खाली करवा दिया है क्योंकि सरकार स्कूल के भवन के निर्माण के लिए कोई योजना ही नहीं बना रही है। अब तीन कक्षाएं एक ही कमरे में चल रही है। 

सत्संग भवन के लिए भी की गई बात

स्कूल प्रशासन ने वहीं पर कुछ दूरी पर स्थित सत्संग भवन में स्कूल चलाने के लिए कुछ कमरे मांगे गए। इसके लिए सत्संग भवन के अधिकारियों से बात की गई क्योंकि एक कमरे में स्कूल चलाना मुश्किल हो गया है। बच्चों को भी पढऩे में दिक्कत आ रही है। सरकार बच्चों के लिए अच्छे भवनों का निर्माण नहीं कर सकती तो इस तरह स्कूल को अपग्रेड ने करें।

बारिश में बढ़ जाती है समस्या

भारी बारिश होने पर स्कूल भवन के लैंटर से पानी टपकना शुरू हो जाता है। इसके कारण मुश्किलें और भी बढ़ जाती है।

एक छोटे से कमरे में बनता है मिड डे मील

राजकीय माध्यमिक पाठशाला कथेड़ में मिड डे मिल भी छोटे से किचन में ही पकाया जा रहा है। मिड डे मिल खाने के लिए बच्चों के लिए बैठने की अलग से व्यवस्था नहीं है। स्कूल के तीन कमरों के निर्माण के लिए 9 लाख रुपए की राशी जारी हो गई है। आई.पी.एच. विभाग से भूमि भी ट्रांसफर हो गई है। बी.एस.एन.एल. को ठेका दिया गया है। जब तक भवन का निर्माण नहीं होता तब तक एक कमरे तीन कक्षाओं को एक साथ बैठना आसान नहीं है। 

प्रदेश सरकार को स्कूल भवन का करे निर्माण

सरकार ने स्कूल को अपग्रेड किया है तो भवन का निर्माण भी शीघ्र करें। स्कूल को अपग्रेड किए हुए तीन वर्ष हो गए है लेकिन अभी तक भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ । बच्चे एक कमरे में बैठने को विवश हो गए है।

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