एंड्रॉयड फोन छीन रहे बच्चों की आंखों का पानी

Edited By Ekta, Updated: 21 Jun, 2018 12:49 PM

children eye water snatching android phone

बचपन उम्र का वह अनमोल पड़ाव है, जिसमें मस्ती होती है, शरारतें और दिनभर की उछल-कूद होती है लेकिन आधुनिकता के दौर में ये सारी चीजें मोबाइल फोन के अंदर ही गुम होकर रह गई हैं या यूं कहें कि मोबाइल फोन ने बच्चों से उनके बचपन को ही छीन लिया है। इन दिनों...

कुल्लू (प्रियंका): बचपन उम्र का वह अनमोल पड़ाव है, जिसमें मस्ती होती है, शरारतें और दिनभर की उछल-कूद होती है लेकिन आधुनिकता के दौर में ये सारी चीजें मोबाइल फोन के अंदर ही गुम होकर रह गई हैं या यूं कहें कि मोबाइल फोन ने बच्चों से उनके बचपन को ही छीन लिया है। इन दिनों चाहे शहर हो या गांव, किसी भी जगह के बच्चे मोबाइल फोन की चपेट से बाहर नहीं हैं। जिससे बच्चों का शोर-शराबा तो खो ही चुका है। गेम्ज व इंटरनैट आदि के लिए लगातार मोबाइल फोन का प्रयोग बच्चों की आंखों का पानी सुखा रहा है, वहीं बच्चे गुमसुम रहने के कारण तनाव का शिकार होते जा रहे हैं। क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू के नेत्र रोग विभाग में भी रोजाना 15 से 20 मामले ऐसे आ रहे हैं जो बच्चों से जुड़े हुए हैं। बच्चों की आंखों में ऐसे-ऐसे दोष पाए जा रहे हैं जो या तो लगातार टैलीविजन देखने से होते हैं या फिर लगातार कम्प्यूटर या मोबाइल फोन के इस्तेमाल से उत्पन्न होते हैं। छोटी सी उम्र में ही अधिकांश बच्चों को मोटे-मोटे चश्मे लगने की एक वजह मोबाइल फोन, कम्प्यूटर व टी.वी. बनता जा रहा है। 


120 लोग पहुंचे नेत्र रोग विभाग में
बुधवार को नेत्र रोग से संबंधित करीब 120 मरीज जांच के लिए क्षेत्रीय अस्पताल में पहुंचे, जिनमें करीब 20 फीसदी बच्चे शामिल हैं। इन बच्चों की उम्र 5 से 10 व 11 वर्ष है। बच्चों की आंखों में धुंधलापन, आंखें लाल होना व खारिश आदि बीमारियां पाई गईं, जिनकी वजह मोबाइल फोन व कम्प्यूटर ही बताया जा रहा है। 


अभिभावकों के लिए सिरदर्द बना बच्चों को समझाना
कुल्लू की ममता, कंगना, भावना, सुनीता, अमन शर्मा, राजीव सूद, विकास मल्होत्रा, आदित्य, संजय कुमार, लाल चंद, आकाश पुरी, अभिनव व अनीश आदि का कहना है कि बच्चों में मोबाइल फोन की लत काफी बढ़ चुकी है। स्कूल से आने के बाद बच्चे सीधे फोन को ही ढूंढते हैं या फिर टी.वी. के आगे बैठ जाते हैं। स्कूल व ट्यूशन के बाद बच्चे बाहर खेलने की जगह घर पर ही हाथ में मोबाइल लेकर बैठे रहना पसंद कर रहे हैं, ऐसे में बच्चों को यह समझाना कि उनके लिए बाहर खुले में खेलना कितना जरूरी है, अभिभावकों के लिए सिरदर्द बन चुका है। उनका कहना है कि लगातार फोन व टी.वी. को देखते रहने के बाद बच्चे आंखों व सिरदर्द से संबंधित कई शिकायतें करने लगे हैं। कई बार बच्चे मोबाइल फोन पर गेम खेलने में ऐसे मशगूल हो जाते हैं, जिससे माता-पिता के फोन पर आ रही जरूरी कॉल को भी वे काट देते हैं। 
 

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