खेती छोड़ चुके किसानों के लिए वरदान बनी मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना

Edited By Ekta, Updated: 18 Jul, 2019 12:27 PM

chief minister farm protection scheme

जंगली व बेसहारा पशुओं के आतंक से परेशान जिला ऊना के किसानों के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना मील का पत्थर सिद्ध हो रही है। इस योजना का लाभ लेकर गगरेट ब्लॉक की ग्राम पंचायत बड़ोह के 116 किसान परिवार दोबारा से किसानी की राह पर चल पड़े हैं। पावरा...

ऊना (कंवर): जंगली व बेसहारा पशुओं के आतंक से परेशान जिला ऊना के किसानों के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना मील का पत्थर सिद्ध हो रही है। इस योजना का लाभ लेकर गगरेट ब्लॉक की ग्राम पंचायत बड़ोह के 116 किसान परिवार दोबारा से किसानी की राह पर चल पड़े हैं। पावरा गांव में जानवरों के आतंक के चलते पहले ये किसान खेती से मुंह मोड़ चुके थे। पावरा के कृषकों ने कृषि विभाग के सहयोग से सामूहिक तौर पर 12 हैक्टेयर भूमि पर सौर बाड़ लगाकर बाड़बंदी की, जिसके बाद वे अब यहां पर मक्की व सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। 

पावरा में सौर बाड़बंदी का कुल खर्च लगभग 47 लाख रुपए आया, जिसमें से 7 लाख रुपए का योगदान किसानों ने किया, जबकि 40 लाख रुपए उन्हें सब्सिडी के तौर पर मिले। कृषि विभाग ने जिला ऊना में वर्ष 2017-18 के दौरान इस योजना के अंतर्गत 42, जबकि 2018-19 में 63 तथा वर्ष 2019-20 में अब तक 9 यूनिट लगाई हैं, जिससे 800 से अधिक किसान परिवारों को लाभ पहुंचा है। विभाग ने वर्ष 2017-18 के दौरान सौर बाड़ लगाने पर 1.14 करोड़ रुपए, वर्ष 2018-19 में 2.39 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2019-20 में अब तक लगभग 91 लाख रुपए खर्च किए।

इस योजना के अंतर्गत किसानों के खेत के चारों ओर बाड़ लगाई जाती है, ताकि जानवर खेत के अंदर दाखिल होकर फसलों को नुक्सान न पहुंचा सकें। बाड़ को सोलर लाइट के माध्यम से संचालित किया जाता है और इसे चलाने में बिजली का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिससे पैसों की बचत होती है। सौर बाड़ में हल्का सौर आधारित करंट होता है और जैसे ही कोई जानवर तार के संपर्क में आता है तो उसे हल्का करंट लगता है, जिससे जानवर भाग जाता है। करंट हल्का होने के चलते इंसान के इसके संपर्क में आने से उसको किसी प्रकार का नुक्सान नहीं होता।

क्या कहते हैं लाभार्थी

सौर बाड़ लगाने की योजना का लाभ लेने वाले अम्बोटा के किसान दलीप सिंह, शिवबाड़ी के रिखी राम, पंजोआ के गोंदा राम, अम्ब पतेहड़ के किसान सतीश कुमार, अमरेहड़ा के अनिल कुमार, बसकेहड़ के रमेश चंद, बहडाला के दीपक कुमार तथा हरोली के अरुण कुमार बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार की यह योजना लाभकारी है और जानवरों से फसल को पहुंचने वाला नुक्सान कम हो गया है, जिससे उनकी आय में बढ़ौतरी हुई है।

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