हिमाचल में बढ़ रही अंडे और चिकन की खपत, सुंदरनगर पोल्ट्री फार्म ने बढ़ाया उत्पादन (Video)

Edited By Simpy Khanna, Updated: 04 Oct, 2019 03:54 PM

मुर्गी पालन की ओर बढ़ रहे किसानों के रूझानों से चिकन और ऐग्ज हिमाचलियों की पसंद बनता जा रहा है। हिमाचल में चिकन और ऐग्ज की खपत उत्पादन से ज्यादा है। इस बात का खुलासा सालाना बढ़ रहे ऐग्ज और चिकन की पैदावार के लक्ष्य को मद्देनजर रखकर लगाया जा सकता है।

सुंदरनगर (नितेश सैनी) : मुर्गी पालन की ओर बढ़ रहे किसानों के रूझानों से चिकन और ऐग्ज हिमाचलियों की पसंद बनता जा रहा है। हिमाचल में चिकन और ऐग्ज की खपत उत्पादन से ज्यादा है। इस बात का खुलासा सालाना बढ़ रहे ऐग्ज और चिकन की पैदावार के लक्ष्य को मद्देनजर रखकर लगाया जा सकता है। जहां पर प्रदेश के एक मात्र कुक्कट पालन केंद्र सुंदरनगर में इस वर्ष 3 लाख 11 हजार चूजे तैयार करने का लक्ष्य तय किया गया है।
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हिमाचल में उत्पादन करने वाले मंडी जिले के सुंदरनगर के बाद सिरमौर जिले के नाहन में ही मात्र दो हिम हैचरी है। जहां से हिमाचल की 70 लाख के तकरीबन आबादी की डिमांड पूरी की जाती है। सुंदरनगर में गत वर्ष के लक्ष्य से एक लाख उत्पादन करने से अधिक है। गत वर्ष विभाग को दो लाख 20 हजार तैयार करने का टारगेट दिया गया। जोकि इस वर्ष बढ़ाकर तीन लाख 11 हजार चूजे कर दिया गया है।
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चंड़ीगढ़ मनाली नेशनल हाईवे पर स्थित हिम हैचरी सुंदरनगर के अधीन, मंडी, कुल्लू, लाहौल स्पीति, बिलासपुर ऊना समेत सात जिले आते है। जिनकी डिमांग यहां से पूरी की जाती है। शेष जिलों को सिरमौर के नाहन की हैचरी से चूजे सप्लाई किए जाते हैं। हिमाचल के विभिन्न जिलों को यहां से चैबरो नसल के चूजे सप्लाई होते है। ये चूजे दो ब्रीड से बनता है। प्लाइमा ट्रॉत और रेड कॉन्र्स से बनता है। इन दोनों ब्रीड की क्रोसिंग से चैबरो नसल के अंडे तैयार होते है और मशीनों के माध्यम से चूजे तैयार होते है।

पिछले वर्ष विभाग के समक्ष 2 लाख 20 हजार का टारगेट था। लेकिन 2 लाख 26 हजार का उत्पादन अर्जित किया था और विभिन जिलों को चूजे सप्लाई किये थे और इस वर्ष यह टारगेट 3 लाख 11 हजार रखा गया है। जिस के लिए कार्य किया जा रहा है औश्र हैचरी में मशीनें लगातर काम कर रही है। 21 दिन और 18 दिन अलग अलग मशीनों में तापमान मेंटेन किया जाता है और 3 दिन अंडों को हैचर में रखा जाता है फिर अंडे से चूजा बाहर आता है। उधर, पोल्ट्री फार्म सुंदरनगर सहायक निदेशक डॉक्टर दीपक भारद्वाज का कहना है कि हिमाचल में अंड़ों और चूजों की डिमांग क्षमता से अधिक है। मुर्गी पालन लोगों की पंसद बनता जा रहा है। जिसके चलते के उत्पादन से लेकर लक्ष्य में भी इजाफा हुआ है।

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