बसंत पंचमी पर निकली भगवान रघुनाथ की भव्य रथ यात्रा, आस्था का उमड़ा सैलाब

Edited By Vijay, Updated: 10 Feb, 2019 06:46 PM

chariot journey of lord ragunath on basant panchmi

कुल्लू के ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में रविवार को बसंत पंचमी का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। सुलतानपुर से अधिष्ठाता रघुनाथ की पालकी को वाद्य यंत्रों की थाप के साथ रथ मैदान तक पहुंचाया गया। रथ मैदान में पहले से ही तैयार रथ में रघुनाथ जी को बैठाने के...

कुल्लू (मनमिंदर): कुल्लू के ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में रविवार को बसंत पंचमी का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। सुलतानपुर से अधिष्ठाता रघुनाथ की पालकी को वाद्य यंत्रों की थाप के साथ रथ मैदान तक पहुंचाया गया। रथ मैदान में पहले से ही तैयार रथ में रघुनाथ जी को बैठाने के बाद विधिवत ढंग से पूजा-अर्चना करने के बाद राज परिवार के सदस्यों ने रथ के चारों और 9 बार परिक्रमा की। इसके बाद जय श्रीराम के नारों से श्रद्धालुओं ने रघुनाथ के रथ को खींच कर उनके अस्थायी शिविर तक पहुंचाया। जहां पर समूची घाटी जय श्री राम से गूंज उठी।
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रथ मैदान में उमड़ा आस्था और श्रद्धा का सैलाब

प्रतीक रूप में राम, लक्ष्मण, भरत और हनुमान भी इस मौके पर उपस्थित थे। हनुमान की भूमिका बैरागी समुदाय के एक व्यक्ति द्वारा निभाई जाती है। रंग-बिरंगे व अधिकतर पीले वस्त्रों से सजे हुए लोगों ने बसंत पंचमी की इस बेला को करीबी से निहारा। बसंत पंचमी पर हजारों की संख्या में आस्था और श्रद्धा का सैलाब रथ मैदान में उमड़ा। रघुनाथ जी की एक झलक पाने के लिए भक्त लंबी कतारों में देर तक खड़े रहे। रविवार से कुल्लू में बसंत पंचमी का आगाज होने के साथ ही रघुनाथपुर की होली भी शुरू हो गई है।

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भगवार राम से मिलने गए थे भरत

भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह के कहा कि जब भगवान श्रीराम वनवास के लिए गए थे तो भरत उन्हें मनाने गुरु वशिष्ठ जी के साथ वन में गए थे। भगवान श्री राम ने जब देखा कि कुछ लोग उनकी तरफ आ रहे हंै तो उन्होंने पवन पुत्र हनुमान को उनके बारे में पता लगाने के लिए भेजा। हनुमान ने बताया कि गुरु वशिष्ठ के साथ भरत आए हैं। फिर श्री राम भरत से गले मिले और खड़ाऊं उन्हें दीं तथा वापस भेज दिया।

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40 दिन रघुनाथ जी के चरणों में चढ़ेगा गुलाल

भगवान रघुनाथ के पुजारी दिनेश किशोर ने बताया कि परंपरा निभाते हुए रविवार से ही होली का आगाज जिला कुल्लू में शुरू हो चुका है। 40 दिन तक प्रतिदिन रघुनाथपुर में होली के गीत गाए जाएंगे और भगवान रघुनाथ जी के चरणों में गुलाल चढ़ाया जाएगा क्योंकि महंत राजा के गुरु थे। इसलिए पूरे आयोजन में आज तक महंत समुदाय के लोग इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। गुरु वशिष्ठ की भूमिका भी महंत निभाते हैं तथा हनुमान जी का रूप भी महंत ही धारण करते हैं। उत्सव में हनुमान द्वारा लगाए गए सिंदूर को शुभ माना जता है।

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भगवान रघुनाथ के रथ पर सवार होने का इंतजा करते हैं श्रद्धालु

वहीं इस मौके पर शामिल हुए श्रद्धालु भी काफी उत्साहित दिखे। उनका कहना है कि वो इस समय का इंतजार करते हैं जब भगवान रघुनाथ को रथ पर बिठाकर उनके अस्थायी शिविर तक लाया जाता है। उनका कहना है कि यहां का माहौल काफी भगतिमय रहता है जहां राम-भरत मिलाप की परम्परा भी निभाई जाती है।

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