Edited By Vijay, Updated: 02 Apr, 2020 10:23 PM
चम्बा-भरमौर मार्ग पर लाहल ढांक के पास वीरवार को भू-स्खलन हो गया। इससे यह मार्ग लगभग 4 घंटे बंद रहा। इससे आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई लेकर आवाजाही कर रहे वाहनों के पहिए थम रहे। चम्बा-भरमौर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भू-स्खलन का दौर खत्म ही नहीं हो रहा है।
भरमौर (उत्तम): चम्बा-भरमौर मार्ग पर लाहल ढांक के पास वीरवार को भू-स्खलन हो गया। इससे यह मार्ग लगभग 4 घंटे बंद रहा। इससे आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई लेकर आवाजाही कर रहे वाहनों के पहिए थम रहे। चम्बा-भरमौर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भू-स्खलन का दौर खत्म ही नहीं हो रहा है। हाल ही में लाहल ढांक में हुए भू-स्खलन के कारण यह मार्ग 3 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद यातायात के लिए बहाल हो पाया था लेकिन वीरवार दोपहर बाद फिर से यहां भू-स्खलन हो गया। इस कारण फिर से मार्ग अवरुद्ध हो गया, जिसे विभागीय मशीनरी ने 4 घंटों में बहाल कर दिया।
बता दें कि खड़ामुख से लेकर लाहल तक कुल 4 किलोमीटर सड़क में कभी भी कहीं भी भू-स्खलन की आशंका बनी रहती है। यहां 4 किलोमीटर तक मार्ग के साथ पहाड़ इतना जर्जर हो चुका है कि अक्सर पत्थर गिरते रहते हैं। सड़क की दशा इतनी खराब हो गई है कि कब कहां भू-स्खलन हो जाए या डंगा ढह जाए कोई पता नहीं। एनएच प्राधिकरण ने अभी तक मार्ग को चौड़ा करने का कार्य पूरी तरह से शुरू नहीं किया है। लोगों को चिंता है कि जब कार्य शुरू होगा तो भू-स्खलन का खतरा और अधिक बढ़ जाएगा।
भरमौर निवासी मनोज, पवन, कर्ण, जयकरन, संजय, इंद्र, अर्जुन, भूरी सिंह व मस्त राम ने नैशनल हाईवे प्राधिकरण से मांग की है कि भू-स्खलन संभावित क्षेत्रों पर सीमैंट की स्प्रे की जानी चाहिए तथा जिन स्थानों पर पहाड़ों को काटने की संभावना नहीं है वहां पक्के डंगे लगाए जाएं। जिन स्थानों पर कच्ची मिट्टी अक्सर खिसकती रहती है उन स्थानों पर सुरंगें बनाई जाएं या बग्गा से लेकर खड़ामुख तक रावी नदी के दूसरी ओर यानी राइट बैंक से नई सड़क बनाई जाए जो भरमौर को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला वैकल्पिक मार्ग भी साबित होगा। यह मणिमहेश यात्रा के समय अत्यंत लाभदायक होगा। यह भरमौर के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा।