केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ इस दिन से हल्ला बोलेंगे ट्रेड यूनियनों के कर्मचारी(Video)

Edited By kirti, Updated: 02 Nov, 2019 02:37 PM

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, राष्ट्रीय फेडरेशनों, केंद्र व राज्य सरकार कर्मचारियों की यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर 8 जनवरी 2020 को देश भर में कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। राष्ट्रीय हड़ताल की तैयारियों के सिलसिले में कालीबाड़ी हॉल शिमला में राज्य...

शिमला(योगराज) : केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, राष्ट्रीय फेडरेशनों, केंद्र व राज्य सरकार कर्मचारियों की यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर 8 जनवरी 2020 को देश भर में कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। राष्ट्रीय हड़ताल की तैयारियों के सिलसिले में कालीबाड़ी हॉल शिमला में राज्य स्तरीय संयुक्त अधिवेशन का आयोजन किया गया जिसमें सभी यूनियनों के पदाधिकारी मौजूद रहे।अधिवेशन में केंद्र सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार हमला बोला गया। सभी ट्रेड यूनियन नेताओं ने केंद्र सरकार को चेताया कि अगर उसने मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों को वापिस न लिया तो आंदोलन तेज होगा।

सभी ने एक स्वर में ऐलान किया कि 8 जनवरी 2020 को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल ऐतिहासिक होगी व हिमाचल प्रदेश में हर क्षेत्र में काम को पूर्णतः बन्द कर दिया जाएगा। इस दिन बैंक,बीमा,पोस्टल,बीएसएनएल,सभी केंद्रीय व राज्य सार्वजनिक उपक्रमों,उद्योगों,बिजली परियोजनाओं, आंगनबाड़ी, मिड डे मील,परिवहन क्षेत्र आदि सभी क्षेत्रों में काम पूरी तरह ठप्प कर दिया जाएगा। अधिवेशन ने निर्णय लिया कि 8 जनवरी की हड़ताल के सिलसिले में 30 नवम्बर तक जिला स्तरीय अधिवेशन आयोजित किये जाएंगे। हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी यूनियनें हर मजदूर तक पहुंचेंगी।

यूनियनों ने केंद्र सरकार की पूंजीपतिपरस्त व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का ऐलान किया है। इंटक राज्याध्यक्ष बाबा हरदीप सिंह ने कहा कि मोदी सरकार मेहनतकश जनता पर लगातार हमला कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र का विनिवेश व निजीकरण करके उसे पूरी तरह खत्म किया जा रहा है व इसे पूंजीपतियों के हवाले किया जा रहा है। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण देश में मंदी छाई हुई है जिसके कारण दस लाख से ज्यादा मजदूरों की नौकरी पिछले दो महीने में खत्म हो गयी है।

ट्रेड यूनियनों का मानना है कि पिछले पांच वर्षों में सरकार की गलत नीतियों के कारण लगभग साढ़े चार करोड़ लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। एनएसएसओ, लेबर ब्यूरो,सीएमआईई,अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय जैसी विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं मोदी सरकार के मजदूर विरोधी नीतियों पर प्रश्न खड़ा कर चुकी हैं। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण लाखों कर्मचारी आज पेंशन से वंचित हैं व नई पेंशन नीति का शिकार हैं। मजदूरों के चौबालिस श्रम कानूनों को खत्म करके उन्हें केवल चार श्रम संहिताओं में बदलने की मुहिम में मोदी सरकार डटी हुई है व पूंजीपतियों को फायदा पहुंचा रही है।
 

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