छात्रवृत्ति घोटाला : आरोपियों के बैंक खाते खंगालने में जुटी CBI Team

Edited By Vijay, Updated: 19 Jan, 2020 09:42 PM

cbi team engaged in investigating bank accounts of accused

250 करोड़ से अधिक के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई पूछताछ का दौर जारी है। इसके तहत सीबीआई की अलग-अलग टीमें चंडीगढ़ और ऊना में मोर्चा संभाले हुए हैं। इसके साथ ही जांच टीम ने गिरफ्तार आरोपियों के बैंक खातों और संपत्तियों को भी खंगाला शुरू कर...

शिमला (ब्यूरो): 250 करोड़ से अधिक के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई पूछताछ का दौर जारी है। इसके तहत सीबीआई की अलग-अलग टीमें चंडीगढ़ और ऊना में मोर्चा संभाले हुए हैं। इसके साथ ही जांच टीम ने गिरफ्तार आरोपियों के बैंक खातों और संपत्तियों को भी खंगाला शुरू कर दिया है। सूत्रों की मानें तो आरोपियों के कुछ पारिवारिक सदस्यों के बैंक खाते भी जांच दायरे में आ गए हैं। बीते कुछ दिनों से सीबीआई की टीमें चंडीगढ़ के साथ ऊना में सक्रिय हैं। इसके तहत कुछ संस्थानों से रिकॉर्ड कब्जे में लेने के साथ ही पूछताछ की प्रक्रिया भी अमल में लाई है।

काफी गहरी हैं छात्रवृत्ति घोटाले की जड़ें

राज्य में सामने आए छात्रवृत्ति घोटाले की जड़ें काफी गहरी बताई जा रही हैं। मामले की तह तक जाने के लिए सीबीआई उन छात्रों के बयान भी दर्ज कर रही है, जिनके दस्तावेजों का दुरुपयोग कर छात्रवृत्तियां हड़पने का खेल रचा गया। अब तक की जांच में हजारों छात्रवृत्तियां फर्जी पाई गई हैं। खुलासा हुआ है कि निजी संस्थानों ने छात्रवृत्तियां हड़पने के लिए सभी नियमों को ताक पर रखा। आशंका यह भी जताई जा रही है कि इस पूरे घोटाले के पीछे एक बड़ा नैटवर्क हो सकता।

जांच दायरे में चल रहे निजी संस्थानों की धुकधुकी बढ़ी

सीबीआई द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधीक्षक ग्रेड-2 अरविंद राजटा, केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूशन के वाइस चेयरमैन हितेश गांधी और सैंटल बैंक ऑफ इंडिया के हैड कैशियर एसपी सिंह को गिरफ्तार किए जाने के बाद से जांच दायरे में चल रहे निजी संस्थानों की धुकधुकी बढ़ गई है। जांच में सामने आया कि छात्रवृत्ति की रकम ज्यादा हड़पने के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों को फर्जी तरीके से अनुसूचित जनजाति का छात्र दर्शा दिया गया। छात्रों की जाति बदलकर छात्रवृत्ति हड़पने का यह खेल इसलिए खेला गया क्योंकि एसटी के छात्रों को एससी के छात्र से दोगुनी छात्रवृत्ति मिलती है।

बिना जांचे परखे जारी कर दी 35 करोड़ से अधिक की राशि

सीबीआई जांच में पाया गया है कि आवेदनों को बिना जांचे परखे छात्रवृत्तियां जारी हुईं। इसके तहत निजी संस्थानों पर विभाग द्वारा ज्यादा मेहरबानी दिखाई गई। 2 निजी संस्थान, जिनमें एक चंडीगढ़ और दूसरा कालाअंब में स्थित है, को विभाग ने 35 करोड़ से अधिक की राशि जारी कर दी। इसी तरह 4 अन्य संस्थान ऐसे हैं, जिन्हें 10 करोड़ से अधिक की राशि जारी की।

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