Edited By Simpy Khanna, Updated: 09 Jan, 2020 02:04 PM
मानवता के लिए शरीर दान करना इंसान के लिए सबसे बड़ा पुण्य है। ऐसे ही पुण्य का भागी बना है उपमंडल सुंदरनगर के एक व्यपारी खूब राम जिन्होंने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का संकल्प लिया है।
सुंदरनगर (नितेश सैनी) : मानवता के लिए शरीर दान करना इंसान के लिए सबसे बड़ा पुण्य है। ऐसे ही पुण्य का भागी बना है उपमंडल सुंदरनगर के एक व्यपारी खूब राम जिन्होंने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का संकल्प लिया है। दानी व्यपारी खूब राम उपमंडल की ग्राम पंचायत भौर के हलेल गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने श्री लाल बहादुर शास्त्री राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया।
व्यपारी खूब राम ने कहा कि मृत्यु के बाद हमारे शरीर के काम आने वाले अंग आंखें, गुर्दे, ब्रेन पार्ट सहित अन्य अंग जरूरतमंद, असहाय व गरीब लोगों की जान बचाने के काम आएं और उसके बाद उनके शरीर संस्थान में प्रशिक्षण करने वाले प्रशिक्षु डॉक्टरों के प्रशिक्षण में काम आए। उन्होंने कहा कि यह शरीर मृत्यु और दाह संस्कार के बाद केवल राख का ढेर रह जाता है। यदि मानव कल्याण में हमारे अंग या देह काम आए तो इससे बढ़कर और क्या बात हो सकती है।
उन्होंने कहा कि देहदान समाज के लिए महादान कहा जाता है। इसे महादान की श्रेणी में इसलिए रखा गया है क्योंकि मृत देह मेडिकल के प्रशिक्षु डॉक्टरों के लिए एक साइलेंट टीचर की तरह काम आती है। देहदान करने वाले दंपति ने कहा कि मरणोपरांत उनकी देह को तुरंत लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व अस्पताल नेरचौक पहुंचा दिया जाए।
उन्होंने उनकी मृत्यु के उपरांत रिश्तेदारों से किसी भी प्रकार के शोक समारोह, कर्मकांड, मृत्युभोज और अन्य कार्यक्रम न करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि यह प्रेणना उन्हें समाज में बढ़ रही जरूरतमंदों लोगो को देख कर मिली है। उन्होंने क्षेत्र के लोगों से भी अपील की है कि पीड़ित मानवता के लिए इस प्रकार के काम के लिए आगे आएं। और समाज के लोग अपनी सोच को बदलें ताकि उनका शरीर जरूरतमंदों के काम आ सके।