सीमांत क्षेत्रों के खेतों में अब फसलें नहीं बल्कि ईंटें उगती हैं

Edited By prashant sharma, Updated: 10 Apr, 2021 10:57 AM

bricks now grow in the fields of the border areas not crops

पहले व्याप्त प्रणाली में हिमाचल तथा खासकर कांगड़ा व चंबा जनपदों के सामान्य ट्रक पंजाब के सीमावर्ती जिलों गुरदासपुर व पठानकोट में स्थित ईंटों के भट्ठों से ईंट भर कर लाते थे तथा निर्माण कार्यों की जरूरत पूरी किया करते थे।

नूरपुर (राकेश) : पहले व्याप्त प्रणाली में हिमाचल तथा खासकर कांगड़ा व चंबा जनपदों के सामान्य ट्रक पंजाब के सीमावर्ती जिलों गुरदासपुर व पठानकोट में स्थित ईंटों के भट्ठों से ईंट भर कर लाते थे तथा निर्माण कार्यों की जरूरत पूरी किया करते थे। लेकिन हाल ही के वर्षों में इस ईंट कारोबार का सिस्टम काफी सीमा तक बदल कर रह गया है। अब ईंटों की प्रचूर मात्रा आपको हिमाचल सीमा के भीतर ही ईंटों के डम्प पर उपलब्ध हो सकती है। हिमाचल की सीमा पर कंडवाल-जसूर एन.एच. पर तथा कंडवाल-भदरोआ सड़क पर इन दिनों अनेकों ऐसे डम्प देखे जा सकते हैं। जी.एस.टी. कराधान प्रणाली लागू होने के बाद पंजाब के विभिन्न जिलों के ईंट भट्ठों से बड़े-बड़े ट्रक ट्राले जिनमें आम ट्रक के मुकाबले कई गुना ज्यादा ईंट भरी होती है हिमाचल के इन सीमांत क्षेत्रों में स्थित खेतों में ऐसे डम्प देखे जा सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए कि इन विशाल खेतों में अब अनाज नहीं बल्कि ईंटें उग रही हैं। रोजाना दर्जनों की संख्या में यह विशाल ट्राले यहां पर ईंट उतारते हैं तथा बेचते हैं।

स्थानीय ईंट भट्ठों का कारोबार हो रहा प्रभावित

इस व्यवस्था के तहत भले ही कांगड़ा, चम्बा जनपदों के ईंट खरीददारों को ईंटों की मनचाही क्वालिटी व मात्रा आसानी से मिल रही हो तथा स्थानीय कारोबारी भी अपनी आजीविका निकाल रे हों लेकिन यह डम्प स्थानीय ईंट भट्ठों के लिए जी का जंजाल बन गए हैं। स्थानीय भट्ठे जो स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया करवाते हैं पंजाब के भट्ठों के साथ कई कारणों की वजह से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। उधर जब इन ट्रालों से माल उतारा व चढ़ाया जाता है ईंटों की धूल उड़ती है व ध्वनि प्रदूषण भी होता है। हाल ही में क्षेत्र के लखनपुर के निवासियों द्वारा प्रशासन से इस आश्य की शिकायत भी की गई थी। उधर हिमाचल की सड़कें चक्की पुल पर से इतने भारी भरकम ट्राले गुजारना इन सड़कों पर भार ले जाने संबंधी कानूनी प्रावधानों की कसौटी पर नहीं उतरता है। 

रमन शर्मा, सहायक आर.टी.ओ. कंडवाल वैरियर ने कहा कि स्वीकृत क्षमता यानी लोड से ज्यादा भार वाले ट्रकों के खिलाफ विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती है। विभाग द्वारा कंडा (भारत्तोलक मशीन) लगाए जाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। कंडे के बिना माल के तोले जाने की समस्या का विभाग को सामना करना पड़ रहा है। कुमार सैनी, अध्यक्ष ईंट भट्ठा संघ कांगड़ा ने कहा कि ईंटों के इस कथित कारोबार कारण स्थानीय ईंट भट्ठों व रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इन सब कारणों से राजस्व पर भी प्रभाव पड़ रहा है। बाहर से आने वाले इन ट्रालों के बिलों व मात्रा की उचित जांच जरूरी है। उपायुक्त आबकारी एवं कराधान विभाग राजस्व जिला नूरपुरविक्रम ठाकुर ने कहा कि  बाहर से आने वाले इन ट्रकों को अक्सर जांचा जाता है व कार्रवाई भी की जाती है। भविष्य में इन पर कड़ी नजर रखी जाएगी। 
 

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