'गरीब-ईमानदार लोगों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़'

Edited By Updated: 03 Jan, 2017 12:51 PM

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कांग्रेस के राष्ट्रीय सह संयोजक व हरियाणा के पूर्व मंत्री निर्मल सिंह ने भी नोटबंदी के खिलाफ केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया है।

शिमला: कांग्रेस के राष्ट्रीय सह संयोजक व हरियाणा के पूर्व मंत्री निर्मल सिंह ने भी नोटबंदी के खिलाफ केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया है। शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 5 सवाल किए और कहा कि इनके जवाब उन्हें देने चाहिए। निर्मल सिंह ने कहा कि नोटबंदी के बाद काले धन के मालिकों और भ्रष्टाचारियों का तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन गरीब व ईमानदार लोगों पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा है। पूर्व मंत्री ने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि 50 दिन में बैंकों में जो पैसा जमा हुआ है, उसमें कितना काला धन आया है। उन्होंने पूछा कि नोटबंदी के चलते देश को कितना आर्थिक नुक्सान हुआ और कितने लोगों ने अपना रोजगार गंवाया।


कैशलैस लेन-देन पर कमीशन बंद होनी चाहिए: निर्मल सिंह
उन्होंने सवाल किया कि नोटबंदी का फैसला लागू करने से पहले आपने किस तरह की तैयारी की थी। ऐसा फैसला लेने से पहले आर.बी.आई. और अन्य अर्थशास्त्रियों से सलाह-मशविरा किया गया था कि नहीं। उन्होंने मांग की कि नोटबंदी के 3 माह पहले तक 25 लाख रुपए से अधिक पैसा बैंक में जमा करवाने वाले हर व्यक्ति और संस्था का नाम देश को बताया जाए। निर्मल सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की कि जनता को बैंक से पैसा निकालने में किसी भी तरह की लिमिट नहीं रहनी चाहिए और 8 नवम्बर के बाद जो पैसा बैंकों में लोगों ने जमा करवाया है, उस पर लोगों को 18 फीसदी ब्याज दिया जाना चाहिए। इसके अलावा कैशलैस लेन-देन पर कमीशन बंद होनी चाहिए।


बी.पी.एल. परिवार की हर महिला के खाते में जमा करवाए 25 हजार रुपए: निर्मल
उन्होंने कहा कि भोजन के अधिकार के तहत दिए जाने वाले राशन की कीमत को एक साल के लिए आधा किया जाना चाहिए। उनकी मांग है कि किसानों को रबी की फसलों में एम.एस.पी. पर 20 फीसदी बोनस दिया जाए, ताकि नोटबंदी से हुए नुक्सान की कुछ भरपाई हो जाए। पूर्व मंत्री ने मांग की कि केंद्र सरकार हर बी.पी.एल. परिवार की एक महिला के खाते में 25 हजार रुपए की राशि जमा करवाए। इसके साथ-साथ मनरेगा मजदूरों के काम में दिन और दिहाड़ी को दोगुना किया जाए। इसके साथ एक विशेष अभियान के तहत नोटबंदी से बेरोजगार हुए मजदूरों को एक नवम्बर, 2016 से 31 मार्च, 2017 तक न्यूनतम वेतन के बराबर बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। 

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