सरकारी नीति का दोष, प्रतिबंध के बावजूद अवैध खनन करने को मजबूर लोग

Edited By Vijay, Updated: 24 Jun, 2018 10:03 PM

blame of government policy people forced to do illegal mining

चम्बा में अवैध खनन को रोकने के लिए आए दिन पुलिस व जिला प्रशासन प्रभावी अभियान को अंजाम देता रहता है। इन अभियानों के माध्यम से पुलिस व प्रशासन को कई मामलों पर कार्रवाई करने में सफलता मिल जाती है तो वहीं प्रशासन व पुलिस के इन अभियानों का सीधा असर जिला...

चम्बा: चम्बा में अवैध खनन को रोकने के लिए आए दिन पुलिस व जिला प्रशासन प्रभावी अभियान को अंजाम देता रहता है। इन अभियानों के माध्यम से पुलिस व प्रशासन को कई मामलों पर कार्रवाई करने में सफलता मिल जाती है तो वहीं प्रशासन व पुलिस के इन अभियानों का सीधा असर जिला की जनता की जेब पर पड़ता है। इसके लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार है क्योंकि उसने जिला चम्बा में खनन पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है जबकि रावी नदी के साथ-साथ जिला के कई नदी-नालों में भारी मात्रा में हर दिन रेत बहकर आती है लेकिन इसे जमा करने व नदी से निकालने पर सरकार ने रोक लगा रखी है।


पठानकोट से मंगवानी पड़ रही रेत
पूरे जिला में महज एकाध ही को नदी से रेत निकालने की अनुमति है, ऐसे में चम्बावासियों को भवन निर्माण के लिए रेत जहां पठानकोट से मंगवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है तो साथ ही जिला में जो लोग कानूनी अथवा गैर-कानूनी ढंग से रेत बेच रहे हैं वे मनमाने दामों पर अपने काम को अंजाम देकर लोगों के खून-पसीने की कमाई से अपनी जेबें भर रहे हैं। ऐसे में जिला प्रशासन को इस वस्तुस्थिति से सरकार को अवगत करवाना चाहिए तो साथ ही जिला में नेताओं को भी सरकार के समक्ष यह मामला उठाना चाहिए।


जिला की रेत से कांगड़ा व पंजाब भर रहे जेबें
जिला चम्बा में रावी नदी के अलावा बैरास्यूल नदी बहती है। इसके अलावा जिला में कई नाले भी मौजूद हंै। इन नदी-नालों में रेत व पत्थर बहते हैं लेकिन इन्हें जिला चम्बा में निकालने की अनुमति नहीं है। ऐसे में नदी-नालों की यह रेत व पत्थर पंजाब व कांगड़ा जिला में पहुंच जाते हैं। वहां इन्हें निकाल कर क्रशर मालिक अपनी जेबें भर रहे हैं। उनके इस काम से सरकारों को भी काफी राजस्व प्राप्त हो रहा है। हैरान करने वाली बात है कि जिला चम्बा में होते हुए ये रेत व पत्थर बाहरी जिलों अथवा राज्यों में पहुंचकर वहां की कमाई का साधन बने हुए हैं लेकिन जिला में इन्हें हाथ लगाना भी गैर-कानूनी है। यानी हम अपने ही प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग अपने लिए नहीं कर सकते हैं लेकिन दूसरे लोग हमारे इन संसाधनों को हमें ही बेचकर हमसे मोटी कमाई कर रहे हैं। पंजाब व कांगड़ा जिला से ही जिला चम्बा को रेत व बजरी आती है।


एन.एच.पी.सी. के लिए गाद सबसे बड़ी समस्या
रावी व बैरास्यूल नदी पर बने एन.एच.पी.सी. के पावर प्रोजैक्टों के लिए नदियों में जमा होने वाली रेत नुक्सानदायक है। इसके जमा होने से जलाशयों में पानी की मात्रा कम हो जाती है। ऐसे में एन.एच.पी.सी. को हर वर्ष अपने जलाशयों से पानी महज इसलिए छोडऩा पड़ता है ताकि उनमें जमा हुई गाद पानी के साथ बहकर निकल जाए। इस कार्य को अंजाम देने के दौरान एन.एच.पी.सी. के रूप में राष्ट्र को हर वर्ष करोड़ों रुपए का नुक्सान होता है क्योंकि बांध से पानी छोडऩे के दौरान जलविद्युत परियोजना के बिजली उत्पादन पर इसका असर पड़ता है। पानी छोडऩे से नदियों में जमा हुई गाद बह कर पंजाब में पहुंच जाती है और वहां इसे जमा करके अपनी आमदनी का माध्यम बनाया जाता है।


जिला में ब्लैक हो रही रेत
विकास के प्रमाण कई तरह से देखने को मिलते हैं। जिला चम्बा में विकास का पैमाना यहां सरकारी व गैर-सरकारी विभागों के चल रहे निर्माण कार्य के रूप में देखा जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में हर दिन जिला चम्बा को 100 बड़ी गाडिय़ां रेत की चाहिए लेकिन लोगों को बड़ी मुश्किल से 20 से 30 गाडिय़ां ही मिल रही हैं। इनमें भी 10 से 15 गाडिय़ां अवैध रूप से प्राप्त करनी पड़ती हैं। निर्माण कार्यों के चलते मांग के मुकाबले कम रेत मिलने के चलते जिला चम्बा में ब्लैक का धंधा चला हुआ है। ऊंचे दामों पर लोगों को रेत प्राप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।


चोरों की तरह काम करने को लोग मजबूर
हैरानी की बात है कि सरकार के एक गलत निर्णय के चलते जिला चम्बा के लोगों को अपनी ही नदियों व नालों से रेत निकालने के लिए चोरों की भांति इस कार्य को अंजाम देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सुबह 5 से 7 बजे के बीच शहर में रेत की सप्लाई की जाती है तो रेत निकालने वालों को भी चोरों की भांति रात के अंधेरे में रेत निकालने के काम को अंजाम देना पड़ता है। अफसोस की बात है कि विकास के मामले में पिछड़े इस जिला को अपने ही प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करने पर सरकार ने प्रतिबंध लगा रहा है जिसका लाभ बड़े-बड़े सरमायेदारों तथा खनन माफिया को हो रहा है।


मनमाने दामों पर बेची जा रही रेत
जिला चम्बा में एकाध व्यक्ति ही रेत निकालने के कार्य को कानूनी रूप से अंजाम दे रहा है लेकिन प्रशासन ने रेत किस भाव से बेची जाए इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। यही वजह है कि मनमर्जी के दामों पर रेत को बेचा जा रहा है और लोगों को सरकार की गलत नीति की वजह से इन मनमाने दामों को चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। वर्तमान में जिला चम्बा में 40 से 50 रुपए प्रति फुट के हिसाब से रेत बेची जा रही है। ऐसे में मध्यय वर्गीय परिवारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और प्रशासन तथा खनन विभाग इस मामले में मूकदर्शक बने हुए हैं।


क्या कहता है प्रशासन
डी.सी. चम्बा  हरिकेश मीणा ने कहा कि जिला चम्बा के हर उपमंडल में कम से कम एक खनन साइट उपलब्ध करवाने का प्रशासन ने लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में प्रशासन कार्य करने में जुटा हुआ है। सुंडला व एक अन्य खनन प्वाइंट पर तकनीकी वजह से यह कार्य रुका पड़ा है। जल्द ही इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। जहां तक रेत के दामों की बात है तो यह बात पहले भी ध्यान में लाई गई है। इस विषय पर जल्द ही चर्चा करके कोई निर्णय लिया जाएगा।

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