Edited By Jinesh Kumar, Updated: 11 Dec, 2020 07:37 PM
प्रदेश सरकार पूरी तरह कन्फ्यूज्ड है। प्रथम वर्ष में सरकार ने नई पंचायतों के पुनर्गठन पर रोक लगाई थी, लेकिन अब अफरा-तफरी में नई पंचायतों के पुनर्गठन का फैसला ले लिया। यह आरोप प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राजिंद्र राणा ने जसूर में आयोजित पार्टी...
नूरपूर (राकेश): प्रदेश सरकार पूरी तरह कन्फ्यूज्ड है। प्रथम वर्ष में सरकार ने नई पंचायतों के पुनर्गठन पर रोक लगाई थी, लेकिन अब अफरा-तफरी में नई पंचायतों के पुनर्गठन का फैसला ले लिया। यह आरोप प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राजिंद्र राणा ने जसूर में आयोजित पार्टी की नूरपुर जोन की मीटिंग के दौरान पत्रकार वार्ता में प्रदेश सरकार पर लगाए। बैठक में कांग्रेस के नूरपूर जोन के तहत नूरपूर, फतेहपुर, ज्वाली, इंदौरा, शाहपुर विधानसभा क्षेत्रों के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने आगामी पंचायत चुनावों को लेकर चुनावी रणनीति बनाई। राणा ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के लोग प्रशासन पर अपनी मर्जी से पंचायतों का आरक्षित व अनारक्षित करने का दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार की प्रशासन पर कमजोर पकड़ के चलते अफसरशाही बेलगाम हो गई है। मंत्री बेनामी भूमि के सौदों में पूरी तरह से लिप्त हैं । क्षेत्र में 1200 कनाल के रजिस्ट्री मात्र 98 लाख में कर दी गई, जबकि उसका सरकारी रेट 6 करोड़ था। तपोवन में भूमि का रेट 40 से 50 लाख प्रति कनाल है, जबकि रजिस्ट्री 4 लाख के हिसाब से हुई है।
राणा ने कहा कि धर्मशाला स्टेडियम के चेलियां में 19 बीघा जमीन की रजिस्ट्री 75 लाख में हुई जबकि उस जमीन की कीमत 20 से 25 करोड़ के आसपास है। इसके अलावा चायल, सिरमौर आदि में करोड़ों की जमीन के बेनामी सौदे प्रदेश के मंत्रियों ने किए हैं। उन्होंने कहा कि इस सितम्बर में विधानसभा में यह प्रश्न उठाया गया था, लेकिन जीरो टॉलरेंस की नीति का राग अलापने वाली प्रदेश सरकार इसकी जांच करने की बजाय मामले को दबाए व लीपापोती करने में जुटी हुई है।