संकल्प पत्र में BJP का वायदा, पर क्या ब्रॉडगेज करने का इरादा!

Edited By Ekta, Updated: 10 Apr, 2019 11:45 AM

bjp promise in the letter of resolution but what to broadband

लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के संकल्प पत्र में देश की सभी नैरोगेज रेल लाइनों को वर्ष 2022 तक ब्रॉडगेज करने का वायदा किया गया है। संकल्प पत्र के प्वाइंट 19 में इस बात का जिक्र किया गया है लेकिन क्या इस वायदे की फेहरिस्त में वर्षों से ब्रॉडगेज होने की...

धर्मशाला (सौरभ सूद): लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के संकल्प पत्र में देश की सभी नैरोगेज रेल लाइनों को वर्ष 2022 तक ब्रॉडगेज करने का वायदा किया गया है। संकल्प पत्र के प्वाइंट 19 में इस बात का जिक्र किया गया है लेकिन क्या इस वायदे की फेहरिस्त में वर्षों से ब्रॉडगेज होने की राह देख रहे 164 किलोमीटर लंबे पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलमार्ग का भी नाम शुमार होगा या फिर एक बार फिर पहाड़ी प्रदेश की इस अहम रेल लाइन के विस्तार के मसले पर निराशा ही हाथ लगेगी। यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है क्योंकि बीते साल 3 दिसम्बर को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ कांगड़ा घाटी रेल लाइन का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल इस रेलमार्ग को ब्रॉडगेज करने को व्यवहारिक तौर पर खारिज कर चुके हैं।

खास बात यह है कि बीते 2 दशकों में हुए 4 लोकसभा चुनावों में इस रेलमार्ग को ब्रॉडगेज करना दोनों मुख्य दलों भाजपा व कांग्रेस के लिए प्रमुख मुद्दा रहा है परन्तु दिल्ली के रेल भवन में कांगड़ा के सांसदों की आवाज आज तक कभी सुनी ही नहीं गई है। 2 साल पहले कांगड़ा के सांसद शांता कुमार ने कहा था कि वह मंडी के सांसद रामस्वरूप के साथ रेल मंत्री से मिलकर इस रेलमार्ग को ब्रॉडगेज कर लेह तक विस्तार की मांग को उठाएंगे पर नतीजा वही ढाक के तीन पात ही रहा। यह रेलमार्ग पिछले एक दशक से केवल निरीक्षणों और सर्वेक्षणों तक ही सीमित रहा है।

धरातल पर स्थिति यह है कि इस नैरोगेज रेलमार्ग को ब्रॉडगेज करना तो दूर, वर्ष 1972 के बाद इसकी हालत सुधारने के लिए कोई कदम ही नहीं उठाए गए। बूढ़े हो चुके इंजन कब बीच रास्ते में हांफ जाएं, यह पता नहीं होता। थोड़ी-सी बरसात होने पर हर साल इस रेलमार्ग पर कई महीनों तक रेलगाडिय़ों का आवागमन बंद हो जाता है। इस साल भी फरवरी माह से रेलमार्ग बारिश के कारण कांगड़ा के आगे ट्रैक बहने के कारण अवरुद्ध है।

164 किलोमीटर लंबा कांगड़ा घाटी रेलमार्ग निर्माण से अब तक

रेलवे रिकॉर्ड के मुताबिक जोगिंद्रनगर में हाईड्रोलिक पावर प्रोजैक्ट के निर्माण के लिए वर्ष 1927 में पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल मार्ग का निर्माण शुरू किया गया था। 164 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग का काम 2 साल के भीतर 1929 में पूरा कर लिया गया। बरोट में शानन प्रोजैक्ट के निर्माण तक इस रेलमार्ग पर मालगाड़ी चलाई जाती रही। बाद में रेलमार्ग पर भाप इंजन से यात्री गाड़ी शुरू की गई। वर्ष 1972 में भाप इंजन बंद कर डीजल इंजन वाली रेलगाड़ी शुरू की गई।

साल 2017 

में पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलमार्ग को रेल मंत्रालय ने वल्र्ड हैरिटेज बनाने के लिए प्रयास शुरू करने की घोषणा की। बीते साल वर्ल्ड हैरिटेज में इस रेलमार्ग को शामिल करने की प्रक्रिया भी शुरू हुई लेकिन अभी तक इसे यह दर्जा नहीं मिल पाया है।

3 दिसम्बर 

2018 को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने पठानकोट से जोगिंद्रनगर तक रेल मार्ग के हवाई सर्वेक्षण के बाद इस रेल मार्ग पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने और एक्सप्रैस ट्रेन चलाने की घोषणा की और पर्यटन की दृष्टि से इसके विकास की बात कही। रेलवे ने स्पीड बढ़ाने का सफल ट्रायल भी किया।

6 फरवरी

2019 को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पपरोला रेलवे स्टेशन पर नई एक्सप्रैस ट्रेन को हरी झंडी देकर पठानकोट के लिए रवाना किया था लेकिन उसी रात भारी बारिश के कारण कोपरलाहड़ के पास कई मीटर लंबा ट्रैक बहने के कारण एक्सप्रैस ट्रेन पठानकोट से आज तक वापस नहीं लौटी है। ज्वालामुखी रोड व कोपरलाहड़ के बीच रेलमार्ग क्षतिग्रस्त होने के चलते 8 फरवरी से कुछ ही ट्रेनें पठानकोट से ज्वालामुखी रोड व कांगड़ा से पपरोला तक चल रही हैं। रेलमार्ग पूरा बहाल कब होगा, यह अभी तय नहीं है।

रेलवे तलाशेगा विकल्प

पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलमार्ग को सुरक्षा की दृष्टि से ब्रॉडगेज बनाकर इसका मंडी तक विस्तार करना जायज है लेकिन रेल मंत्रालय ने इसे ब्रॉडगेज करने में अधिक खर्च एवं कठिनाइयों का हवाला देते हुए विकल्प तलाशने की बात कही है। रेल लाइन का एक सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। दूसरे सर्वेक्षण में कुछ बातें रेल मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय को तय करनी हैं।     
    

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