Edited By kirti, Updated: 14 Apr, 2019 03:28 PM
यह है प्रदेश के सबसे दुर्गम इलाकों में शुमार सिरमौर जिले का गिरिपार इलाका। यहां के लोग पिछले करीब 50 सालों से इस क्षेत्र को जनजाति क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहे है। कई सरकारें आई और गई जनजातीय क्षेत्र घोषित करवाने के वायदे भी हुए। लेकिन दशकों...
नाहन(सतीश): यह है प्रदेश के सबसे दुर्गम इलाकों में शुमार सिरमौर जिले का गिरिपार इलाका। यहां के लोग पिछले करीब 50 सालों से इस क्षेत्र को जनजाति क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहे है। कई सरकारें आई और गई जनजातीय क्षेत्र घोषित करवाने के वायदे भी हुए। लेकिन दशकों पुरानी यह मांग अभी तक पूरी नहीं हुई। लोगों का कहना है कि उनका सिर्फ वोट बैंक के लिए किया गया। लोगों का कहना है कि साल 2014 में बीजेपी ने वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आती है तो इस क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित किया जाएगा। उनका कहना है कि खुद इस बात का आश्वासन तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नाहन में आयोजित जनसभा के दौरान दिया था। यही नहीं साल 2017 में जिला के हरिपुरधार में खुद केंद्रीय जनजातीय मंत्री जुएल ओराम ने क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की घोषणा की थी आप भी सुनिए क्या कहा था जनजाति क्षेत्र के मंत्री ने।
बता दें कि क्षेत्र की लोग उत्तराखण्ड के जौनसार बावर की तर्ज पर गिरीपार को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं इनका कहना है कि साल 1967 में जौनसार बावर को तो जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिया गया पर इस क्षेत्र को नहीं। जौनसार बावर भी किसी समय सिरमौर रियासत का ही हिस्सा था और क्षेत्र की संस्कृति,रीति रिवाज और भौगोलिक परिस्थितियां एक समान है। ऐसे नहीं गिरीपार को भी जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिलना चाहिए था। गिरीपार के हाटी समुदाय से जुड़े करीब 2 लाख मतदाता है ऐसे में इस बार बीजेपी को यहां लोगों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि बीजेपी यहां अपना चुनावी वादा पूरा नहीं कर पाई है।