Edited By Punjab Kesari, Updated: 17 Jun, 2017 07:54 PM
नगर निगम शिमला पर भाजपा ने 31 साल बाद भगवा लहराया है। शहर के 34 वार्डों में से भाजपा को 17 वार्डों में जीत हाथ लगी थी। इस तरह भाजपा स्पष्ट बहुमत से एक कदम दूर थी लेकिन पंथाघाटी वार्ड से जीते पार्टी के बागी ने भाजपा को समर्थन दे दिया है।
शिमला: नगर निगम शिमला पर भाजपा ने 31 साल बाद भगवा लहराया है। शहर के 34 वार्डों में से भाजपा को 17 वार्डों में जीत हाथ लगी थी। इस तरह भाजपा स्पष्ट बहुमत से एक कदम दूर थी लेकिन पंथाघाटी वार्ड से जीते पार्टी के बागी ने भाजपा को समर्थन दे दिया है। इसके बाद बी.जे.पी. मेयर और डिप्टी मेयर के लिए दावा पेश करेगी। कांग्रेस के लिए एम.सी. चुनाव के नतीजे हैरान करने वाले है। कांग्रेस को केवल 12 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। इन चुनाव में 3 बागी कांग्रेस और एक प्रत्याशी सी.पी.आई.एम. का जीतकर आया है। एम.सी. चुनाव में लगभग सभी वार्डों में लोगों ने नोटा (इनमें से कोई नहीं) का भी जमकर इस्तेमाल किया है। सबसे अधिक कृष्णानगर वार्ड में 28 लोगों ने नोटा बटन दबाकर मैदान में उतरे सभी 9 प्रत्याशियों को नकारा है। शहर के सभी वार्डों में कुल 363 लोगों ने नोटा बजट दबाया है।
2 बजे तक 10-10 सीटों के साथ बराबरी पर रहीं कांग्रेस-भाजपा
हाईकोर्ट के आदेशों पर करवाए गए एम.सी. चुनाव की मतगणना डी.सी. ऑफिस में सुबह 9 बजे शुरू हुई तो 12 बजे तक लगातार भाजपा बढ़त बनाए हुए थी। 2 बजे तक कांग्रेस-भाजपा 10-10 सीटों के साथ बराबरी पर आ गईं लेकिन तब तक कांग्रेस के 2 बागी जीत गए थे। इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनने के दावे किए जाते रहे क्योंकि 2 बजे के बाद उन वार्डों में गिनती शेष बची थी जोकि कांग्रेस के गढ़ माने जाते रहे हैं लेकिन इन वार्डों को भेदने में भाजपा कामयाब हो गई और रिजल्ट भाजपा के पक्ष में आया। इसके बाद भाजपा ने शहर में ढोल-नगाड़े पर जीत का जश्र मनाया और लड्डू बांटकर एक-दूसरे को बधाइयां दीं।
कांग्रेस के लिए अच्छे सकेंत नहीं
विधानसभा चुनाव से पहले आए ये नतीजे कांग्रेस के लिए चिंताजनक है क्योंकि विधानसभा चुनाव से पहले इन चुनाव को सूबे की सत्ता सैमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था। इन नतीजों ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं क्योंकि उनके शिमला ग्रामीण क्षेत्र से एम.सी. शिमला के 4 वार्डों में से कांग्रेस को केवल एक वार्ड में ही जीत मिली है। शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र के 18 वार्डों में से कांग्रेस को 7 वार्ड और कसुम्पटी विस क्षेत्र के 12 वार्डों में से कांग्रेस को केवल 4 वार्डों में ही जीत हाथ लगी है। इस तरह ये नतीजे कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इसी तरह साल 2012 के चुनाव में मेयर और डिप्टी मेयर समेत 3 पार्षद जीतने वाली माकपा को एक पार्षद जीतने में ही कामयाबी मिली है।
मतगणना में प्रशासन की तैयारियों की खुली पोल
वहीं मतणना के दौरान जिला प्रशासन की तैयारियों की भी पोल खुली है। ई.वी.एम. पर मतदान होने के बावजूद मतगणना में करीब सात घंटे का वक्त बीत गया। साल 2012 में हुए एम.सी. चुनाव के रिजल्ट दोपहर एक बजे तक आ गए थे लेकिन इस बार रिजल्ट दोपहर बाद करीब 3.40 मिनट पर आया। इससे नतीजे जानने आए लोग परेशान नजर आए और जिला प्रशान को कोसते रहे। वहीं मतगणना के दौरान हुई मूसलाधार बारिश ने भी लोगों को खूब परेशान किया। खासकर विजेताओं के जश्र को भी बारिश ने फीका किया।
पार्टी चिन्ह के बगैर संपन्न हुए चुनाव
एम.सी. शिमला के चुनाव दूसरी बार बिना पार्टी चिन्ह के करवाए गए हैं। चुनाव भले ही पार्टी चिन्ह के बगैर हुए हैं लेकिन कांग्रेस, भाजपा और माकपा तीनों ही दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतार रखे थे। यही वजह रही कि लोग सूबे की सरकार को पार्टी चिन्ह पर चुनाव न करवाने को लेकर कोसती रहे। चुनावी नतीजे आने के बाद दोनों पार्टियां दावे कर रही हैं कि यदि पार्टी चिन्ह पर चुनाव होते तो उन्हें और बढ़त मिल सकती थी।
सदन में महिलाओं का रहेगा दबदबा
नगर निगम चुनाव में 34 वार्डों में से 20 महिलाएं जीत कर सदन के भीतर बैठेंगी। खास बात ये कि 50 फीसदी आरक्षण के तहत 17 महिलाएं जीत कर आनी थी, लेकिन शहर के 3 ओपन वार्डों से भी 3 महिलाओं ने अपनी जीत हासिल की है। सदन के भीतर 20 महिलाएं होगी जबकि 14 पुरुष पार्पद बैठेंगे। यानि सदन में महिलाओं का दबदबा रहेगा। ऐसा पहली बार होगा जब सदन में 20 महिलाएं शहर के विकास में अपना सहयोग देगी।