देवभूमि में बढ़ती जा रहीं कलंकित करने वाली ये घटनाएं

Edited By Punjab Kesari, Updated: 11 Sep, 2017 11:26 AM

bitter truth in the campaign of protection of daughters

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, बेटी है अनमोल, मेरी लाडली, बेटी ...

कुल्लू: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, बेटी है अनमोल, मेरी लाडली, बेटी है तो कल है व पढ़ेंगी बेटियां बढ़ेंगी बेटियां। ये नारे भी हैं और योजनाओं के नाम भी। अक्सर सड़कों पर समूह में तख्तियां, बैनर उठाकर चल रहे छात्र-छात्राओं को इन पंक्तियों को दोहराते आम देखा जा सकता है। ऐसे कार्यक्रमों के लिए सरकारी फंडिंग भी इतनी है कि जिसे खर्च करते हुए भी भंडार खाली होने का नाम न ले। निजी तौर पर कई संस्थाएं ऐसे कार्यक्रमों के लिए अलग से फंडिंग करती हैं और हर जनमानस को जागरूक करने के लिए मुहिम चलाती हैं। एक दौर था जब बेटियों को पराया धन मानकर परिजन भी उन्हें अनपढ़ रखना ही बेहतर समझते थे। जैसे-जैसे वक्त बदलता गया तो बेटियों ने अपने हुनर के दम पर उन बुलंदियों को छू लिया। अब हर आमजन जागरूक हो गया है।

कहीं बेटियों को उफनती नदी में फैंका जा रहा
इसके पीछे यह भी मान सकते हैं कि बेटियों के संरक्षण के लिए चल रही मुहिम में सिर्फ बेटियों को ही अधिमान दिया जा रहा है और ऐसे में बेटे कहीं यह न मान लें कि उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। इसका निष्कर्ष अंत में यह निकला कि बेटे-बेटियां दोनों ही अनमोल हैं। शायद मुहिम में कहीं कोई कमी रह गई होगी या इस मुहिम के तहत धरातल पर संजीदगी से कार्य नहीं हो पाया होगा। नतीजतन बेटियों के संरक्षण की मुहिम के बीच कड़वे सच से साक्षात्कार तो होना ही था। हृदयविदारक घटनाओं ने देवभूमि को झकझोर कर दिया है। कहीं बेटियों को उफनती नदी में फैंका जा रहा है तो कहीं बेटियां खुद उफनती नदियों में कूद रही हैं। पुलिस तफ्तीश चौंकाने वाले खुलासे कर रही है। पूरी वारदात और उसके पीछे का सच सुन, देख कर लोगों को कुछ कहने के लिए शब्द तक नहीं मिल पा रहे हैं। 3 दिन पहले कुल्लू में जिला बस अड्डे के पास उफनती सरवरी खड्ड में डेढ़ साल की बज्जी अचेत अवस्था में मिली।

विवाहिता ने पुल से कूदकर अपनी जान दी 
अस्पताल पहुंचने तक उसकी सांसें चलती रहीं लेकिन बाद में चिकित्सकों को अटल सत्य के समक्ष घुटने टेकने पड़े। बज्जी के शव को जब कोई लेने नहीं आया तो पुलिस भी हैरान हुई। अंतत: पुलिस सही जगह पहुंची और बज्जी को इतनी बेदर्दी से मौत के घाट उतारने वाले परिजनों पर कानून का शिकंजा कसा। बज्जी लग घाटी की थी और परिजनों पर ही आरोप है कि उन्होंने उसे इस तरह मौत के मुंह में धकेला। ब४ची का कसूर इतना था कि वह अपनी माता-पिता की 3 बेटियों व एक बेटे जैसी औलादों में सबसे छोटी थी। मासूम का दूसरा कसूर पुलिस पूछताछ में परिजनों से यह उगला कि वह हमेशा रोती चिल्लाती रहती थी, इस वजह से उसे मौत के घाट उतार दिया गया। कुछ दिन पहले इसी लग घाटी की एक विवाहिता ने गैमन पुल से कूदकर अपनी जान दे दी थी। पुलिस छानबीन में पाया गया था कि घरेलू कलह के कारण महिला ने यह कदम उठाया था।

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