बिलासपुर ऑटो रिक्शा यूनियन ने किया ऐलान, अब HRTC से होगी आर-पार की लड़ाई

Edited By Vijay, Updated: 19 Dec, 2018 04:46 PM

bilaspur auto rickshaw union announced battle will be from hrtc

बिलासपुर शहर में नियमों को ताक पर रखकर बिना परमिट चल रही हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों के कारण ठप्प हुए व्यवसाय से गुस्साई दी बिलासपुर ऑटो रिक्शा यूनियन ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है।

बिलासपुर (मुकेश): बिलासपुर शहर में नियमों को ताक पर रखकर बिना परमिट चल रही हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों के कारण ठप्प हुए व्यवसाय से गुस्साई दी बिलासपुर ऑटो रिक्शा यूनियन ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है। परिधि गृह बिलासपुर में आयोजित प्रैस वार्ता को संबोधित करते हुए यूनियन के कानूनी सलाहकार अधिवक्ता प्रवेश चंदेल व यूनियन के प्रधान मोहम्मद रफी ने कहा कि यदि जिला प्रशासन ने 2 दिन के भीतर बिना परमिट के चल रही इन बसों को बंद न किया तो यूनियन अपने स्तर पर इन बसों को रोकेगी और यदि इस दौरान किसी प्रकार की कोई अनहोनी होती है तो इसकी सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार की होगी।

बिलासपुर शहर में बिना परमिट चल रहीं 8 बसें

उन्होंने बताया कि बिलासपुर शहर में बिना परमिट के 8 बसों को चलाया जा रहा है। इन बसों में के रूट कहीं और के हैं जबकि इनको वाया अस्पताल चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार ई-टैक्सी को लक्ष्मी नारायण मंदिर से चलाने की परमिशन मिली है लेकिन इसे बस अड्डा से चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन बसों के कारण 200 ऑटो रिक्शा संचालकों का कारोबार पूरी तरह प्रभावित होकर रह गया है। ऑटो रिक्शा यूनियन जिला प्रशासन द्वारा तय किए गए किराए के अनुरूप ही पैसा ले रही है और यदि 3 सवारियां हों तो प्रत्येक सवारी से अस्पताल के 10 रुपए की लिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय पैट्रोल व डीजल के दामों के अतिरिक्त कलपुर्जों व टैक्स भी भारी मात्रा में बढ़ गए हैं। बैंकों से ऋण लेकर ऑटो चलाने वाले इन लोगों का काम प्रभावित होने के कारण ये लोग बैंक की किश्तें भी नहीं दे पा रहे हैं।

यूनियन 2 बार सदर विधायक व जिला प्रशासन सुना चुकी है दुखड़ा

उन्होंने बताया कि एक तरफ तो सरकार स्वरोजगार की बात कर रही है और दूसरी तरफ नियमों को ताक पर रखकर बसें चालकर ऑटो रिक्शा संचालकों के कारोबार को छीनने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यूनियन इस बाबत 2 बार सदर विधायक व जिला प्रशासन को लिखकर अपना दुखड़ा सुना चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई, जिस कारण यूनियन को मजबूरी में नियमों को ताक पर रखकर चल रही इन बसों को रोकने का निर्णय लेना पड़ा है।

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