भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन के जमीन अधिग्रहण में अब यह विवाद बना रोड़ा

Edited By Updated: 10 Jan, 2017 06:09 PM

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पिछले कई वर्षों से कागजों में बन रही भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन की जमीन का अधिग्रहण फिर टल गया है।

बिलासपुर: पिछले कई वर्षों से कागजों में बन रही भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन की जमीन का अधिग्रहण फिर टल गया है। हालांकि जिला प्रशासन ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस परियोजना के लिए जमीन का अधिग्रहण करने की तैयारी पूरी कर दी थी लेकिन पंजाब के साथ लगती जमीन पर विवाद होने के कारण जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। इस रेल लाइन का पहले चरण का सर्वे पूरा होने के बाद जिला प्रशासन ने इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए पहले चरण के सर्वे के आधार पर जमीन अधिग्रहण करने की योजना को अंतिम रूप दे दिया था ताकि पिछले करीब 30 वर्षों से कागजों में उलझी इस रेल लाइन के बनने का रास्ता साफ हो सके लेकिन पंजाब राज्य के साथ लगती सीमा झीड़ा आदि में सीमा रेखा पर जमीन का विवाद उत्पन्न हो जाने से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई।

स्पॉट विजिट कर विवाद को हल करने का निर्णय 
सीमा पर उत्पन्न हुए इस विवाद को टालने के लिए अब जिला प्रशासन ने पंजाब के आनंदपुर साहिब के एस.डी.एम. और बिलासपुर सदर के एस.डी.एम. के मध्य स्पॉट विजिट करके इस विवाद को हल करने का निर्णय लिया है। इसके लिए दोनों एस.डी.एम. 15 जनवरी के बाद मौके का निरीक्षण कर समस्या का हल खोजेंगे और इसके बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जिला प्रशासन ने इस रेल लाइन के लिए जमीन का अधिग्रहण करने के लिए राजस्व विभाग द्वारा किसी प्रकार का नोटिस लोगों को नहीं दिए जाने का निर्णय लिया है, बल्कि जमीन का अधिग्रहण प्रत्येक गांव में लोगों से मोलभाव (नेगोशिएसन)करके किया जाएगा। लोगों से जमीन का मोलभाव करके जमीन का अधिग्रहण करने की तैयारी पूरी कर ली है। 

2 चरणों में सर्वे हो चुका है पूरा
पहले चरण में भानुपल्ली से धरोट तक का सर्वे पूरा हो चुका है। इस रेल लाइन के तहत 10 किलोमीटर रेल लाईन पंजाब और 10 किलोमीटर रेल लाईन हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में बनेगी। बिलासपुर में बनने वाली इस रेल लाईन के 964 बीघा जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इसमें 648 बीघा जमीन सरकारी है जबकि 316 बीघा जमीन निजी है। जिला प्रशासन द्वारा जमीन का अधिग्रहण पंजाब की सीमा के साथ लगते बिलासपुर जिला के झंडोरी, दबट-मजारी, बेरड़ा, कांगूवाली, झीड़ा, कोटखास, नंद-बहल, टोबा-संगवाण, नीलां, लखनु और धरोट में किया जाएगा। विभागीय सूत्रों के मुताबिक रेल विभाग ने दूसरे चरण में धरोट से बैरी तक का सर्वे भी पूरा कर लिया है। रेल विभाग ने दूसरे चरण में बैरी तक 3 जगह से सर्वे किया है। हालांकि रेल विभाग ने इसे अंतिम रूप नहीं दिया है। 

दूसरे चरण में हुए 3 सर्वे
रेल विभाग ने दूसरे चरण के लिए एक सर्वे किरतपुर-नेरचौक के तहत बन रहे फोरलेन के साथ किया है जबकि दूसरा सर्वे धरोट से नौणी और वहां से गोबिंदसागर झील के साथ-साथ किया गया है जबकि तीसरा सर्वे नौणी से सुरंग डालकर जुखाला होते हुए बैरी के लिए किया गया है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक तीन जगहों से किए गया सर्वे अभी तक फाइनल नहीं हो पाया है। इन सर्वों में यह देखा जा रहा है कि किस सर्वे के तहत लोगों की निजी जमीन कम आएगी। दूसरे चरण के हुए इन 3 सर्वों में से वह सर्वे फाइनल किया जाएगा, जिसमें सरकारी जमीन ज्यादा आती हो ताकि भूमि का कम से कम मुआवजा देना पड़े। 

अभी तक मिली 9 करोड़ रुपए की राशि 
विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिला प्रशासन के पास जमीन अधिग्रहण करने के लिए अभी तक 9 करोड़ रुपए की राशि ही मिली है जबकि इस पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इस बारे में एस.डी.एम. सदर एवं भूमि अर्जन अधिकारी बिलासपुर डा. हरीश गज्जू ने बताया कि पहले चरण में बनने वाली रेल लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। पंजाब राज्य के साथ लगती सीमा पर कुछ विवाद होने के कारण ही ऐसा हुआ है। इस विवाद को सुलझाने के लिए 15 जनवरी के बाद मौके का निरीक्षण कर मामले को सुलझाया जाएगा। दूसरे चरण के सर्वे बारे अभी तक विभाग के पास रेल विभाग ने कोई सूचना नहीं दी है। 

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