हिमाचल के इस जिले को ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के लिए मिलेगा राष्ट्रीय पुरस्कार

Edited By Ekta, Updated: 28 Jul, 2019 02:01 PM

beti bachao beti padhao to campaign will get national award

हिमाचल के सिरमौर जिले को ''बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ'' अभियान के तहत देश के टॉप 10 जिलों की सूची में शामिल किया गया है और जिला में पिछले कुछ सालों में बेटों के मुकाबले बेटियों की बढ़ रही संख्या पर सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री...

नाहन: हिमाचल के सिरमौर जिले को 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत देश के टॉप 10 जिलों की सूची में शामिल किया गया है और जिला में पिछले कुछ सालों में बेटों के मुकाबले बेटियों की बढ़ रही संख्या पर सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी 7 अगस्त को दिल्ली में विज्ञान भवन में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम में ये पुरस्कार प्रदान करेंगी। इस सम्मान के लिए जिला का हर वह व्यक्ति हकदार है, जिसने अपने घर में बिना भेदभाव के अपनी बेटियों को आगे लाया। लेकिन लोगों को इस दिशा में जागरूक करने में सरकार के साथ-साथ अफसरशाही का भी अहम योगदान रहा है। इन्हीं में से एक हैं आई.ए.एस. एवं जिला के पूर्व डी.सी. ललित जैन, जिन्होंने सिरमौर में पदभार संभालते ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम पर जोर दिया और इस कार्यक्रम को सफल बनाने में दिन-रात एक भी किया। 

अधिक से अधिक लोगों में संदेश पंहुचे इसके लिए एक से एक उपाय उन्होंने अपने कार्यकाल में किए। शायद इसी का नतीजा है कि उनके मात्र 19 माह के कार्यकाल के दौरान सिरमौर देश के टॉप 10 जिलों में शुमार हो गया। जिसका गर्व सिरमौर के हर उस मां-बाप को होगा जिसके आंगन में बेटियों की किलकारियां गूंजती हैं। सिरमौर में डी.सी. के पदभार के दौरान खुद ललित जैन के घर पर भी बेटी की किलकारी गूंजी थी। 

पदभार संभाला तो 968 था आंकड़ा

जानकारी के अनुसार जब ललित जैन ने सिरमौर में बतौर डी.सी. पदभार संभाला था तो यहां लिंगानुपात 1,000 लड़कों पर 968 लड़कियां था लेकिन बाद में यह आंकड़ा 1,004 पंहुच गया, यानी 1,000 लड़कों पर 1,004 लड़कियों ने जन्म लिया। इन्हीं आंकड़ों के दम पर सिरमौर को देश के 10 जिलों की सूची में शामिल कर अब सम्मानित किया जाएगा। 

ऐसे चलाया अभियान 

सिरमौर में डी.सी. का पद संभालते ही ललित जैन ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में सबसे अधिक रूची ली और यह संदेश घर-घर तक पंहुचे, इसके लिए बेटी के जन्म पर हस्ताक्षरित एक पत्र बेटी व मां को भेजा जाने लगा। इसके अलावा बेटी के जन्म पर लोगों सेे जश्न मनाने की भी अपील की जाती थी। बेटियों के जन्म पर पौधा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाने लगा और पौधे के साथ बेटी के नाम की पट्टिका भी लगाई जाने लगी। इस सबके अलावा गिफ्ट भी बच्ची को दिया जाने लगा। इसके अलावा जिला की उन 20 पंचायतों को भी सम्मानित करने का फैसला लिया गया, जहां बेटियां अधिक जन्मी होंगी। इसके अलावा बेटियों के साथ भेदभाव न हो, इसके लिए भी जागरूक किया गया।

भ्रूण हत्या पर रोक के लिए लगातार की निगरानी

लोगों में जागरूकता के साथ-साथ कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए भी उन्होंने कदम उठाया। इस दिशा में जिला के सभी उपमंडलाधिकारियों को क्लीनिकों की निगरानी और निरीक्षण करने के लिए समय-समय पर निर्देश दिए गए और खुद भी उन्होंने इसकी मॉनीटरिंग की। 

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