अधिकारियों के लिए सबसे पसंदीदा क्षेत्र बना BBN, एक बार जो आता है जाने का नाम नहीं लेता

Edited By kirti, Updated: 27 Sep, 2018 10:02 AM

bbn is the most preferred area for officials

औद्योगिक क्षेत्र बी.बी.एन. में सुविधाओं के नाम पर न तो यहां अच्छी आबोहवा है, न सड़कें अच्छी हैं और न ही कोई अच्छा स्कूल है। मनोरंजन के भी कुछ खास साधन नहीं हैं। बच्चों की पढ़ाई, रहने व खरीददारी के मामले में लोगों को चंडीगढ़, कालका व पंचकूला पर...

मानपुरा : औद्योगिक क्षेत्र बी.बी.एन. में सुविधाओं के नाम पर न तो यहां अच्छी आबोहवा है, न सड़कें अच्छी हैं और न ही कोई अच्छा स्कूल है। मनोरंजन के भी कुछ खास साधन नहीं हैं। बच्चों की पढ़ाई, रहने व खरीददारी के मामले में लोगों को चंडीगढ़, कालका व पंचकूला पर निर्भर रहना पड़ता है, बावजूद इसके बी.बी.एन. अधिकारियों के लिए सबसे अधिक पसंदीदा क्षेत्र है। 20-20 वर्षों से कई अधिकारी इसी क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं। आखिर ऐसा क्या है कि ये अधिकारी इस क्षेत्र को नहीं छोड़ पाते हैं। अगर किसी अधिकारी की ट्रांसफर यहां से हो जाती है तो वह उसे रुकवाने व एडजस्टमैंट में एड़ी चोटी का जोर लगा देता है। जब भी सरकार बदलती है तो सबसे पहले विधायकों व मंत्रियों को ऐसे अधिकारियों को इस क्षेत्र में लगाने की लिस्ट तैयार करनी पड़ती है जिनके जरिए बी.बी.एन. के उद्योगों से अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा कर सकें।

बी.बी.एन. के कबाड़ के ठेके व काली राखी के ठेकों के अलावा उद्योगों में लेबर सप्लाई, गाडिय़ां व ट्रैक्टर एडजस्ट करवाने के लिए राजनीतिक दबाव बनाकर अधिकारियों का सहारा लिया जाता है। मंत्रियों को खुश करने के चक्कर में कई अधिकारियों के जेल तक जाने की नौबत आ चुकी है व कई अधिकारी रिश्वत कांड में फंस चुके हैं, बावजूद इसके अधिकारी व छोटे कर्मचारी बी.बी.एन. में आने को तरसते हैं।

लाखों की होती है बी.बी.एन. की दीवाली
बद्दी-बरोटीवाला में अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए दीवाली लाखों रुपए की होती है। दीवाली गिफ्ट के रूप में अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारियों तक उपहार के रूप में भ्रष्टाचार करोड़ों रुपए का होता है। क्षेत्र के 4,000 के करीब उद्योग दीवाली पर सभी विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों को मोटे उपहार देते हैं। ईमानदारी का मुखौटा पहनने वाले कुछ अधिकारी दीवाली के दिनों में अपने कार्यालयों के बाहर यह नोटिस चिपका देते हैं कि यहां उपहार लाना मना है जबकि इन उपहारों को लेने के लिए पहले ही समय व स्थान तय कर दिया जाता है। दीवाली से पहले अगर किसी अधिकारी की ट्रांसफर हो जाती है तो उसके लिए इससे बड़ा सदमा कोई नहीं होता।

बिचौलियों की है पूरी गैंग
बी.बी.एन. के कार्यालयों में कोई भी काम सीधे नहीं होता बल्कि बिचौलियों की एक ऐसी गैंग बी.बी.एन. में काम कर रही है जो उद्योगपतियों को कार्यालयों में जाने नहीं देती। उनके दिमाग में पहले ही बी.बी.एन. के अधिकारियों के प्रति ऐसा डर डाल दिया जाता है कि अगर तुम सीधे काम करवाने के लिए जाते हो तो एक तो आपका काम नहीं होगा व अगर हुआ तो उसका 5 गुना पैसा लगेगा। बी.बी.एन. के उद्योगों व अधिकारियों के बीच में बिचौलियों का काम करने वाले लोगों ने जहां अपने उद्योग लगा लिए हैं, वहीं बाहरी राज्यों में उनकी संपतियां हैं।

स्थानीय लोगों की राय
स्थानीय लोगों राजेश कुमार, मुखत्यार सिंह, जयपाल, अमरीक सिंह, देवेंद्र कुमार, हरीश, कमल व राकेश समेत अन्य लोगों का कहना है कि सरकार के पास मात्र कुछ अधिकारी ही हैं जो काम जानते हैं। सरकार को चाहिए कि बी.बी.एन. में ऐसे अधिकारी लगाए जाएं जो अपनी काबिलियत से सरकार के  राजस्व में इजाफा करें व ऐसा माहौल तैयार करें कि ज्यादा से ज्यादा उद्योग बी.बी.एन. में दस्तक दें।

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