सदन में CM-CS की गैर-हाजिरी पर बिफरीं Asha, सुना डाली खरी-खरी

Edited By Punjab Kesari, Updated: 13 Mar, 2018 09:52 PM

asha angry on the non attendance of cm cs in the house

बजट पर जारी सामान्य चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने सरकार पर तीखा निशाना साधा।

शिमला: बजट पर जारी सामान्य चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने सरकार पर तीखा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार नॉन सीरियस गवर्नमैंट है। उन्होंने कहा कि सदन में बजट पर अहम चर्चा हो रही है लेकिन सदन में न तो मुख्यमंत्री मौजूद हैं और न ही सरकार के मुख्य सचिव। उन्होंने कहा कि वित्त सचिव भी यहां नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सदन में केवल एक ही मंत्री मौजूद हैं। इससे स्पष्ट है कि भाजपा की यह नॉन सीरियस गवर्नमैंट है। उन्होंने कहा कि सदन में यदि मंत्री किशन कपूर न होते तो सदन स्थगित करना पड़ता। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शोर-शराबा करना शुरू किया, ऐसे में विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने उन्हें शांत रहने को कहा।

बजट में न कोई दृष्टि, न ही कोई नीति
बजट चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस विधायकी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने माइनिंग पॉलिसी लाई थी। इसमें ऑक्शन का प्रावधान किया गया था। उनका कहना था कि इससे राजस्व को बढ़ाया जा सकता है और माइनिंग करने वाला हर व्यक्ति गलत नहीं होता। जो वैध तरीके से हो रही है, वह सही माइलिंग है। उन्होंने कहा कि इस बजट में न कोई दृष्टि है, न ही कोई नीति।  

पंजाब से हिमाचल में आ गए बादल
उन्होंने कहा कि हम सोच रहे थे कि पंजाब पर ही बादल मंडरा रहे हैं लेकिन अब ये बादल हिमाचल भी आ गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने जब बस का परमिट किसी एक फर्म को दिया है तो उसे दूसरे को कैसे बेचा गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह से परमिट को सबलैट नहीं किया जा सकता है। यह बहुत बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि इसे रोकना होगा। 

बागवानी मिशन प्रौजेक्ट की राशि कहां और कैसे खर्च की
उन्होंने कहा कि 1300 करोड़ रुपए का बागवानी मिशन प्रौजेक्ट कांग्रेस सरकार के समय में आया है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजैक्ट के तहत 100 करोड़ रुपए की जो राशि आई है, उसे कहां और कैसे खर्च किया जाएगा, इस पर स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि चम्बा जिला को बैकवर्ड जिले का दर्जा पहले ही मिल चुका है जबकि सिरमौर जिला का दर्जा हटाया गया है। उन्होंने कहा कि सिरमौर से यह भेदभाव क्यों किया गया। उन्होंने कहा कि यह नीति आयोग ने किया है जबकि योजना आयोग ने 2 जिले इस योजना में लाए थे।

ब्यूरोक्रेट्स को पड़ गया शेरो-शायरी का शौक
उन्होंने तंज करते हुए कहा कि नौकरशाही को भी शेरो-शायरी का शौक पैदा हो गया है। उन्होंने पूर्व सी.एम. प्रेम कुमार धूमल का नाम लेते हुए कहा कि नौकरीशाही को जिस नेता से शेरो-शायरी का शौक पड़ा है, आज वह सदन में नहीं हंै लेकिन वित्त विभाग ने तो अब शेरो-शायरी को बजट का ही पार्ट बना दिया है।

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