हींग और केसर की खेती आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अग्रणी कदम

Edited By Vijay, Updated: 05 Dec, 2020 09:22 PM

asafoetida and saffron cultivation a pioneering step towards selfreliant india

हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में छठे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के अंतर्गत विज्ञान यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने समारोह में उपस्थित अतिथियों और...

पालमपुर (ब्यूरो): हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में छठे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के अंतर्गत विज्ञान यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने समारोह में उपस्थित अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विज्ञान यात्रा के महत्व के बारे में बताया। आईएचबीटी के शोध एवं विकास, उपलब्धियों, परिकल्पना और उद्देश्यों का संक्षेप में विवरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा हींग और केसर फसलों की खेती का विस्तार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक अग्रणी कदम होगा। हींग के पौधों को लाहौल-स्पीति और मंडी जिलों के किसानों को उपलब्ध कराया गया है जबकि केसर की खेती को किन्नौर, मंडी और चम्बा जिलों में प्रोत्साहित किया जा रहा है।

देश भर में जंगली गेंदे के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक बना हिमाचल

सेब के विषाणुरहित पौधों को उत्तर-पूर्व के मिजोरम और अन्य राज्यों में उपलब्ध करवा कर वहां के किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने की दिशा में भी संस्थान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अतिरिक्त संस्थान द्वारा किसानों को सुगंधित फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया गया तथा उनके खेतों में सगंध तेल के निष्कर्षण के लिए प्रदेश में कई आसवन इकाइयां स्थापित की गईं। हिमाचल प्रदेश इन प्रयासों से देश भर में जंगली गेंदे के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। संस्थान ने पोषण हेतु विटामिन डी से भरपूर शिटाके मशरूम, आयरन, प्रोटीन और फाइबर युक्त उत्पादों को भी विकसित किया है। सामाजिक दायित्व के अन्तर्गत संस्थान ने रैडी टू ईट डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ एवं एनर्जी और प्रोटीनयुक्त बार इत्यादि को भारत में आए विभिन्न चक्रवातों से प्रभावित क्षेत्रों के पीड़ितों और कोरोना महामारी में वंचितों में वितरित किया।

पुष्प खेती से किसानों की आय में हुई वृद्धि

पुष्प खेती को बढ़ावा देने के लिए संस्थान ने कई किस्में विकसित कीं जिनकी खेती से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। संस्थान ने डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के अनुसार एल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर एवं हर्बल साबुन की तकनीक विकसित की और स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन करके आम लोगों को कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाई है।

किसानों एवं उद्यमियों को वैज्ञानिक तकनीकों का प्रशिक्षण व जानकारी दी

डॉ. संजय कुमार ने संस्थान द्वारा किए जिज्ञासा कार्यक्रमों, विज्ञान मेलों एवं प्रदर्शनियों, वैज्ञानिक-छात्र-अध्यापक संपर्क कार्यक्रमों, वैज्ञानिकों द्वारा स्कूलों में लोकप्रिय वैज्ञानिक संभाषणों द्वारा विज्ञान के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करने, किसानों एवं उद्यमियों को वैज्ञानिक तकनीकों का प्रशिक्षण देने जैसे प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी।

शोध कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने के प्रयासों को सराहा

इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रो. शशि कुमार धीमान पूर्व कुलपति हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत का योगदान विषय पर अपना संभाषण दिया। प्रो. धीमान ने आधुनिक विज्ञान में भारतीय वैदिक विज्ञान की भूमिका एवं ऋषि-मुनियों की वैज्ञानिक सोच, आर्यभट्ट के मोशन नैविगेशन तथा भास्कराचार्य के एस्ट्रोनॉमी पर किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया। उन्होंने संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किए गए प्रयासों को भी सराहा।

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