Edited By kirti, Updated: 01 Sep, 2019 12:13 PM
सेब की फसल के सडऩ रोग की जद्द में आने से बागवानों में हड़कंप की स्थिति है। विशेषज्ञ इस बीमारी को सन बर्न बता रहे हैं। हालांकि मौजूदा दौर में इसका उपचार नहीं है लेकिन इसके लिए सर्दियों के दौरान ही प्रूनिंग पैटर्न को फॉलो करना पड़ता है। बागवानों का...
कसोल (मनकोटिया): सेब की फसल के सडऩ रोग की जद्द में आने से बागवानों में हड़कंप की स्थिति है। विशेषज्ञ इस बीमारी को सन बर्न बता रहे हैं। हालांकि मौजूदा दौर में इसका उपचार नहीं है लेकिन इसके लिए सर्दियों के दौरान ही प्रूनिंग पैटर्न को फॉलो करना पड़ता है। बागवानों का कहना है कि सेब पर न तो रंग आ रहा है और ऊपर से फसल पेड़ों पर ही सड़ने लगी है। तैयार फसल का यह हश्र होने से बागवान चिंतित हो उठे हैं। इसके पीछे विशेषज्ञ और भी कई कारण बता रहे हैं।
ऐसा कई बार पेड़ों को पानी न मिल पाने से होता है या फिर पेड़ के कमजोर व सूखने की वजह से होता है। इसके अलावा और भी कई कारण इसके पीछे रहते हैं। यदि सूखे की वजह से ऐसा हो रहा हो तो उसका उपचार कुछ और होता है और यदि अधिक पानी के कारण ऐसी स्थिति पैदा हो रही हो तो उसका समाधान कुछ और होता है। जिला कुल्लू के निचले इलाकों वाली सेब बैल्ट में जिस तरह से सेब की फसल सड़ रही है, इसके लिए सर्न बर्न वजह है। पार्वती घाटी के बागवान नरेंद्र शर्मा, रूम सिंह, विपिन ठाकुर, अजय कुमार, नरेश कुमार, संजीव, टेक चंद और सुरेश कुमार शर्मा ने कहा कि सेब की फसल पेड़ों पर ही सडऩे लगी है। तैयार फसल नष्ट हो गई तो बागवानों को रोटी के लाले पड़ जाने की नौबत आ जाएगी।