Netherlands से अब Himachal सीखेगा सेब फसल 5 गुना बढ़ाने की तकनीक

Edited By Ekta, Updated: 16 Jun, 2019 12:37 PM

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हिमाचल प्रदेश नीदरलैंड से सेब उत्पादन की 5 गुणा तकनीक का फायदा उठाएगा। नीदरलैंड में हिमाचल प्रदेश के सेब पौधों के मुकाबले 5 गुणा अधिक उत्पादन होता है, जिसका प्रदेश लाभ उठाना चाहता है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने नीदरलैंड दौरे के दौरान प्रदेश में...

शिमला (ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश नीदरलैंड से सेब उत्पादन की 5 गुणा तकनीक का फायदा उठाएगा। नीदरलैंड में हिमाचल प्रदेश के सेब पौधों के मुकाबले 5 गुणा अधिक उत्पादन होता है, जिसका प्रदेश लाभ उठाना चाहता है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने नीदरलैंड दौरे के दौरान प्रदेश में भी सेब उत्पादन को बढ़ाने संबंधी विषय को लेकर गहन विचार विमर्श किया। इसके अलावा नीदरलैंड के साथ 800 करोड़ रुपए के निवेश को लेकर भी करार हुआ है। यह करार राज्य सरकार एवं भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई.) के सहयोग से नीदरलैंड के हेग में आयोजित रोड-शो के दौरान किया गया। इस दौरान कृषि, बागवानी, पर्यटन व कौशल विकास सहित अन्य विषयों में निवेश को लेकर भी चर्चा हुई।  
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उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्किंग, ईको पर्यटन और स्की रिजार्ट विकास जैसे साहसिक पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों में निवेश की व्यापक संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि पर्यटन, आयुष, सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलैक्ट्रॉनिक्स, जल विद्युत, खाद्य तथा फ ल प्रसंस्करण इत्यादि जैसे क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई औद्योगिक नीति पर विशेष बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नीदरलैंड के साथ जो 800 करोड़ रुपए के 2 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं, उससे कांगड़ा जिला में जनवरी, 2020 तक गोल्फ  रिजार्ट का निर्माण किया जाएगा, जिस पर 500 करोड़ रुपए का निवेश होगा और इससे 1,000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा कांगड़ा जिला में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कौशल विश्वविद्यालय पर 300 करोड़ का निवेश होगा, जिसे जनवरी, 2020 तक काम शुरू होने की संभावना है। 

उन्होंने कहा कि नीदरलैंड विश्व में कृषि उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है और यह अपनी स्मार्ट लॉजिस्टिक्स, भंडारण एवं पैकिंग तकनीकों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सेब के बागीचों के नवीकरण के लिए हर संभव बजट प्रावधान एवं अन्य कोशिशें कर रही है, लेकिन राज्य में नीदरलैंड की तरह सेब की पैदावार नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि नीदरलैंड यूरोपीय संघ के सभी भारतीय निर्यातों में से 20 फीसदी से अधिक के लिए प्रवेश द्वार के रुप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि नीदरलैंड की शैल, यूनीलीवर आई.एन.जी., अपोलो, आई.के.ई.ए., फि लिप्स, एगॉन और हेनेकेन जैसी 115 से अधिक कंपनियां भारत में पहले से ही मौजूद है। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नीदरलैंड के समकक्ष मार्क रुट्टे ने मई, 2018 में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, प्रौद्योगिकी, स्मार्ट सिटी, साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा तथा वित्त क्षेत्र में 50 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए थे। इससे पूर्व राज्य सरकार ने यूरोप के वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचेम) के साथ नीदरलैंड में वहां के एसोचेम के अध्यक्ष डॉ. विकास चतुर्वेदी के माध्यम से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस ज्ञापन के माध्यम से कृषि, बागवानी, लोजीस्टिक एवं अधोसंरचना को अधिक मिलेगा। एसोचेम यूरोप, भारत एवं यूरोप के मध्य होने वाले व्यापार को सुगम बनाता है। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने इस अवसर पर कहा कि हिमाचल प्रदेश में 50 हजार से अधिक उत्पादन इकाइयां हैं। इसके माध्यम से 4 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया गया है। 

निवेश के लिए माहौल अनुकूल: राजामोनी 

नीदरलैंड में भारत के राजदूत वेणु राजामोनी ने कहा कि भारत के हिमाचल प्रदेश में निवेश के लिए अनुकूल माहौल है। उन्होंने केंद्र सरकार की तरफ से प्रदेश सरकार को दिए जाने वाले सहयोग के बारे भी अवगत करवाते हुए बताया कि केंद्र और प्रदेश में एक ही राजनीतिक पार्टी की सरकार है। 

यहां पर निवेश की संभावना: बाल्दी 

अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री ने प्रधान सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने इस अवसर पर पर्यटन तथा रियल एस्टेट के क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में साहसिक गतिविधियों, ट्रेकिंग एवं कैपिंग, वन्य जीवन, अनछुए शीत रेगिस्तान, इतिहास, वस्तुशिल्प, अध्यात्म तथा सौहार्द जैसी गतिविधियों में निवेश के अवसरों की जानकारी दी। उन्होंने 5 सितारा रिजार्ट, स्की रिजार्ट, ईका पर्यटन, कनवैंशन सैंटर, हॉट वॉटर वैलनैस रिजार्ट, स्काई ब्रिज, लेक पर्यटन, गंतव्य विकास, रोप-वे, नागरिक उडड्यन, चाय पर्यटन तथा टेनटिड अकॉमोडेशन जैसे व्यक्तिगत निवेश संभावित परियोजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में व्यापक मांग, अनुकूल वातावरण तथा दृढ़ सहयोग के साथ-साथ पड़ौसी राज्यों के लोगों का शिमला, सोलन, धर्मशाला तथा पालमपुर जैसे मध्य पहाड़ी क्षेत्रों में रुचि के कारण राज्य के रियल एस्टेट में निवेश करना श्रेष्ठ क्षेत्र है। अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग मनोज कुमार ने एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। 

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