Edited By Vijay, Updated: 25 Oct, 2018 10:46 PM
जनजातीय क्षेत्रों के विकास में तेजी लाने के लिए केंद्र से मैदानी इलाके से 10 गुना अधिक धन देना होगा तभी जनजातीय क्षेत्रों का विकास पूरी तरह से संभव हो पाएगा। राष्ट्रीय जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष अनुसुईया उईके ने अपने चुवाड़ी दौरे के दौरान पंजाब केसरी...
चम्बा: जनजातीय क्षेत्रों के विकास में तेजी लाने के लिए केंद्र से मैदानी इलाके से 10 गुना अधिक धन देना होगा तभी जनजातीय क्षेत्रों का विकास पूरी तरह से संभव हो पाएगा। राष्ट्रीय जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष अनुसुईया उईके ने अपने चुवाड़ी दौरे के दौरान पंजाब केसरी के साथ विशेष भेंटवार्ता के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के समक्ष आयोग के माध्यम से यह बात रखी जाएगी ताकि केंद्र सरकार इसे अमलीजामा पहनाने की दिशा में प्रभावी कदम उठा सके। पंजाब केसरी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से सवाल-जवाब किए। इस मौके पर भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष त्रिलोक कपूर भी साथ थे।
पांगी को टनल से जोड़ने बारे राज्य व केंद्र सरकार से करेंगे बात
उन्होंने कहा कि पांगी को टनल से जोड़ने की बात अधिकारियों ने बताई है। आयोग इस बारे में राज्य सरकार से बात करेगा तो साथ ही केंद्र सरकार से भी इस बारे बात की जाएगी। सुरक्षा की दृष्टि व विकास के मद्देनजर पांगी को टनल के साथ जोडऩा बेहद जरूरी है। इस सुविधा के मिलने से जहां देश की सुरक्षा व्यवस्था और पुख्ता होगी तो साथ ही जिला चम्बा की जनजातीय घाटी पांगी का विकास 12 माह जारी रहेगा।
जरूरत पड़ी तो सरकार से मांगी जाएगी रिपोर्ट
भरमौर के दायरे में आने वाली 23 पंचायतों को जनजाति का दर्जा देने की मांग पर उन्होंने कहा कि यह बात ध्यान में लाई गई है। उक्त पंचायतों के विकास में अगर इसका असर पड़ता है तो इस बारे में राज्य सरकार से बात की जाएगी। जरूरत पड़ी तो सरकार से रिपोर्ट भी मांगी जा सकती है। लोगों की भावनाओं को देखते हुए और जनजातीय क्षेत्र का हिस्सा होने के बावजूद अगर विकास की दृष्टि से वह पिछड़ा है तो निश्चित तौर पर इस बारे में केंद्र के समक्ष यह मुद्दा उठाया जा सकता है।
लोगों को नहीं मिल पाता पूरा न्याय
पांगी क्षेत्र को भरमौर से अलग कर उसे चुराह के साथ मिलने या फिर चुराह की करीब 6 दर्जन पंचायतों को जोड़ कर नया विधानसभा क्षेत्र बनाने बारे उन्होंने कहा कि लोगों को पूरा न्याय नहीं मिल पाता है तो साथ ही उन्हें अपने प्रतिनिधित्व की कमी भी अखरती रहती है, ऐसे में आयोग के पास इस प्रकार की बात लिखित में सामने लाई जाती है तो इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाया जा सकता है।