Edited By Ekta, Updated: 22 Apr, 2018 02:40 PM
प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के बालरोग विभाग के डॉक्टर्स गरीबी से जूझ रहे शिमला जिला के क्वालग गांव के साधनहीन परिवार की 14 साल की बेटी अनीता के लिए सच में ही भगवान साबित हुए हैं। अनीता टाइप-वन डायबिजिट से पीड़ित है। उसे...
शिमला (राजीव): प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के बालरोग विभाग के डॉक्टर्स गरीबी से जूझ रहे शिमला जिला के क्वालग गांव के साधनहीन परिवार की 14 साल की बेटी अनीता के लिए सच में ही भगवान साबित हुए हैं। अनीता टाइप-वन डायबिजिट से पीड़ित है। उसे नियमित अंतराल के बाद इन्सुलिन इंजेक्शन लेना होता है। ये इंजेक्शन दो से चार डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में रखना होता है, ताकि इसकी पोटैंसी यानी ताकत बरकरार रहे। उसको प्रभावी और सुरक्षित रखने के लिए रेफ्रीजरेटर की जरूरत है। लेकिन परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि वो रेफ्रीजरेटर खरीद पाता। ऐसे में महज एक रेफ्रीजरेटर के अभाव में अनीता को बार-बार गंभीर हालत में आईजीएमसी अस्पताल आना पड़ता था।
अस्पताल के बाल रोग विभाग के डॉक्टर ने अनीता के पिता का दर्द समझा। उन्होंने विभाग प्रमुख प्रोफेसर डॉ. अश्विनी सूद की प्रेरणा से अपनी पॉकेट से दस हजार रुपए की रकम खर्च कर उसके पिता को रेफ्रीजरेटर भेंट किया। अब वह घर पर ही इन्सुलिन इंजेक्शन लगा पाएगी। उसे बार-बार गंभीर हालत में आईजीएमसी अस्पताल नहीं आना पड़ेगा। अश्विनी सूद ने रेजीडेंट डॉक्टर्स की इस सोच के लिए उनकी पीठ थपथपाई है।
अनीता को पहले वर्ष 2018 की शुरुआत में अस्पताल में दाखिल किया गया था। उपचार के बाद ठीक होकर वो घर चली गई। लेकिन 6 अप्रैल को उसे फिर से गंभीर हालत में आईजीएमसी अस्पताल लाना पड़ा। बच्ची के पिता बालकृष्ण ने बताया कि वो मिट्टी के कच्चे मकान में रहते हैं। मामूली खेती-बाड़ी के मालिक बालकृष्ण फसल न होने पर मजदूरी करते हैं। अनीता का इलाज तो स्कूल हैल्थ प्रोग्राम के जरिए हो जाता है, लेकिन रेफ्रीजरेटर खरीदने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं था। विभाग प्रमुख डॉ. अश्विनी सूद की प्रेरणा से रेजीडेंट डॉक्टर्स ने रेफ्रीजरेटर खरीद कर इस परिवार को भेंट किया। जिसके लिए वे हमेशा इनके आभारी रहेंगे।