अनिल शर्मा के बदले सुर, बोले- जयराम ठाकुर अब बन गए नेता (Video)

Edited By Ekta, Updated: 22 Sep, 2019 11:00 AM

लोकसभा चुनाव में बेटे की हार के बाद वर्तमान सरकार में ऊर्जा मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले सदर मंडी के विधायक अनिल शर्मा के सुर अब बदले-बदले से लग रहे हैं। अनिल ने बातों ही बातों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की जमकर सराहना की और उन्हें अब बड़ा नेता...

मंडी (पुरुषोत्तम): लोकसभा चुनाव में बेटे की हार के बाद वर्तमान सरकार में ऊर्जा मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले सदर मंडी के विधायक अनिल शर्मा के सुर अब बदले-बदले से लग रहे हैं। अनिल शर्मा ने बातों ही बातों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की जमकर सराहना की और उन्हें अब बड़ा नेता मान लिया है। इतना ही नहीं उन्होंने स्वीकार किया कि लोकसभा चुनावों में बेटे को चुनाव लड़ाना जल्दबाजी में बड़ी राजनीतिक भूल थी जिसका खामियाजा सदर विधानसभा क्षेत्र की जनता को उठाना पड़ा है। हालांकि चुनाव से पूर्व जैसे ही उनके बेटे आश्रय शर्मा को कांग्रेस पार्टी ने टिकट थमा दिया था तो अनिल शर्मा ने जमकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के खिलाफ भड़ास निकाली थी।  

उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री बनना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन नेता बनने के लिए जनता का विश्वास जितना जरूरी होता है। अब लोकसभा चुनावों में भाजपा को मिली बहुमत के आधार पर उपलब्धि के बाद अनिल शर्मा के तेबर ठंडे पड़ गए हैं। हालांकि उनका मानना है कि कुछ बातों पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मतभेद हो सकते हैं लेकिन प्रदेश को आर्थिक संकट से उभारने के लिए उन्होंने जो इनिशिएटिव लिया है उसका वे स्वागत करते हैं। उनसे हिमाचल की राजनीति को लेकर लंबी बातचीत हुई पेश है इसके अंश :-  

प्र. लोकसभा चुनाव में आपके पुत्र का कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ना एक क्या एक राजनीतिक भूल साबित हुई। कहा जा रहा है कि अब सुखराम परिवार की राजनीति पर फुल स्टॉप लग गया है। आप क्या सोचते हैं?

उ. राजनीति के अंदर जो फैसला मेरे बेटे और पिता जी ने लिया वो कह सकता हूं कि बाकई एक राजनीतिक भूल थी। चुनाव के बीच मैंने इसका विरोध भी किया था और पिता होने के नाते जो मेरा फर्ज था तो बेटे की खातिर मैंने मंत्रीपद छोड़ा ताकि उसे कोई दिक्कत न आए। विधायक होते हुए मैंने जो काम करने थे वो किए। पिता जी की उम्र काफी ज्यादा हो गई है उनकी एक इच्छा थी इसलिए उन्होंने पोते के लिए ऐसा फैसला लिया जबकि मैं ऐसा नहीं चाहता था क्योंकि भाजपा में रहते ये मेरे लिए संभव नहीं था। मैं समझ गया था कि यहां तरीका कुछ और है।

प्र. कांग्रेस ने आपको घर वापसी का ऑफर दिया है। कांग्रेस में वापसी करेंगे या भाजपा में बने रहेंगे?

उ. मुझे नहीं मालूम कहां से आफर आई होगी परंतु मैं अभी भाजपा का विधायक हूं, जब तक मुझे पार्टी से नहीं निकाला जाता। अभी भी मुझे पार्टियां बदलना ठीक नहीं लगता कि कभी एक पार्टी और कभी दूसरी। इसका विरोध में परिवार में भी करता रहा है कि बार-बार ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए। बेटे की नौजबान वाली सोच थी, उसका अपना एक एजैंड़ा था और उसमें पिता जी भी शामिल हो गए तो मैंने चुप बैठना ही उचित समझा। अब आगे भी कोई फैसला मुझे लेना है तो अब मैं ये जनता पर छोड़ रहा हूं। मैंने बेटे को भी उस वक्त कहा था कि ऐसे फैसले हमेशा अपनी जनता को पूछकर ही लेने चाहिए। आखिरकार फैसला जनता ने ही करना है कि हमें उनकी सेवा करनी चाहिए या घर बैठना है।  

प्र. चुनाव के दौरान आपने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के खिलाफ  टिप्पणियां की थीं। क्या उन पर अब भी कायम हैं?

उ. देखिए जयराम जी भले आदमी हैं जो मैंने पहले भी कहा था और उस वक्त मैंने कहा था कि मुख्यमंत्री बनना और एक नेता बनने में फर्क होता है और उसमें मैंने अब पाया कि चुनाव के बाद वे अब नेता बन चुके हैं। जिस तरीके से उन्होंने पार्लियामैंट के चुनाव में पार्टी की कमान संभाली और एक बहुत बड़े अंतर से बहुमत के साथ चारों सीटों पर सफलता पाई और सबको साथ लेकर उन्होंने साबित किया कि वे अब नेता की कड़ी में शामिल हो चुके हैं और ये हमारे लिए अच्छी बात है कि उन्होंने सबका सहयोग लेकर आगे चलने की बात कहीं है। केवल मैं कहूंगा कि विकास के काम को गति देने के लिए अधिकारियों को कसने की जरूरत पड़ती है। जब तक हम उनपर लगाम नहीं लगाएंगे, जब तक पकड़ नहीं बना पाएंगे तो विकास में गति नहीं आएगी। एक बात उनको जरूर कहना चाहूंगा कि आप सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं तो ये भी करें कि कामों को लेकर अधिकारियों पर अपनी पकड़ बनाएं ताकि विकास धीमा न हो। 

प्र. आप तकनीकी तौर पर अभी भी भाजपा के विधायक हैं। एक विधायक के तौर पर अगले 3 साल क्या प्राथमिकताएं होंगी।

उ. हां, मैं तकनीकि रूप से भाजपा में ही हूं और जब तक इस्तीफा नहीं देता हूं तो भाजपा का ही विधायक हूं। मुझे भाजपा में वरिष्ठता के लिहाज से जहां विधानसभा में जगह मिली वहां बैठा हूं। ये बात ठीक है कि विधानसभा में मैंने कोई बात नहीं उठाई लेकिन समय आएगा तो हम कोशिश करेंगे। मैं रोज अखबार पढ़ता हूं और मैंने पाया कि इस बार हर विधानसभा क्षेत्र से पानी की समस्या की खबरें आती रही लेकिन मेरे सदर विधानसभा क्षेत्र से ऐसी कोई बात सामने नहीं आई। ऐसी कोई घटना मेरे क्षेत्र की अखबार में नहीं होती है जिसमें विकास को लेकर बात की जाए।मैंने अपने कार्यकाल में उन बुलंदियों को हासिल किया है जो बहुत से विधानसभा क्षेत्रों में करने को है। विकास निरंतर प्रक्रिया है मांगें कभी खत्म नहीं होती। फिर भी मूलभूत मांगों को मैंने प्राथमिकता पहले से दी है।

प्र. जयराम सरकार में आप ऊर्जा मंत्री थे। चुनाव के दौरान हुए घटनाक्रम में मंत्री पद खोने का क्या कोई मलाल है। क्या आप अपने पिता पंडित सुखराम व बेटे आश्रय के निर्णय से सहमत थे।

उ. नहीं, मैंने राजनीति को केवल सेवाभाव से देखा है। मंत्रीपद छोड़ने का फैसला मुझे बेटे की बजह से लेना पड़ा। केवल इतना है कि अभी भी बहुत कुछ मेरे डिपार्टमैंट में करने को था जो मुझे सौंपा गया था। हमारे हिमाचल में इस महकमें में बहुत संभावनाएं हैं ये मलाल मुझे रहेगा कि कहीं कमी रही है। जहां तक मंडी क्षेत्र की बात है तो बहुत सी योजनाएं मेरे अपने क्षेत्र की है और मैं चाहूंगा कि अभी तक मैं मुख्यमंत्री जी से मिला नहीं हूं और जब मिलूंगा तो यहां की बात रखूंगा। मुझे पूरा विश्वास है कि वे यहां की समस्याओं के बारे में मेरी बात सुनेंगे और स्थानीय विधायक होने के नाते यहां के काम को तरजीह देंगे। बहुत जल्द में उनसे मिलूंगा।  

प्र. पं.सुखराम और आश्रय शर्मा ने जो कदम उठाया था उसमें आपकी क्या राय थी?

उ. नहीं, जल्दी में उठाया स्टैप था। पिछली बार भाजपा में जब मैं गया था तो आश्रय के कहने पर ही गया था तब हम दोनों की अपने कुछ लोगों को पूछकर सहमति थी परंतु उस चुनाव के अंदर मैंने अपने लोगों के अंदर इस बात को महसूस किया था कि लोग जैसा मैंने फैसला लिया था उस हिसाब से लोगों ने हमारा साथ दिया। इस बार ये फैसला दिल्ली में लिया गया और बेटा और मेरे पिता दोनों ने कहां से बात आगे बढ़ाई ये बात में नहीं कहना चाहूंगा परंतु मैं यह बात समझाता हूं कि बेटे में नौजवान होने के साथ राजनीति में आने का शौक तो था लेकिन समय उचित नहीं था और अगर उचित समय में कोई फैसला लिया जाता तो अच्छी बात निकल कर सामने आती।  

प्र. मंडी सदर में आज भी सुखराम परिवार के समर्थकों की कमी नहीं है। इन समर्थकों को एकजुट रखने की चुनौती का कैसे सामना करेंगे?

उ. देखिए मैं कह सकता हूं संख्या हो सकती है पर ये चुनाव किसी मुद्दे पर नहीं प्रधानमंत्री मोदी जी के नाम पर लड़ा गया था और इस वक्त लोगों ने सबकुछ भुलाकर केवल एक नाम पर ही वोट दिए। ऐसे में पं. सुखराम जी के लोगों की बात नहीं है। पार्लियामैंट का चुनाव प्रधानमंत्री जी के नाम और काम पर लड़ा गया। आगे राजनीति क्या करनी है ये मैं जनता पर छोडूंगा। मेरा काम हो चुका है जो काम मैंने करने थे उनको गति प्रदान कर चुका हूं। चाहे बात शहर की हो या गांव की पर फिर भी लोग चाहेंगे तो सफर जारी रहेगा और लोग नहीं चाहेंगे तो सफर खत्म भी हो सकता है। 

प्र. मंडी सदर मेें आपके काम हो रहे हैं क्या और अधिकारी बैठक में आते हैं या नहीं?

उ. सदर में जिस गति से काम हो रहा था उसमें कुछ विराम आया है। अधिकारियों के बदल जाने से दिक्कतें आई हैं और जब में नए आए अध्किारियों से बात करता हूं तो वे कहते हैं कि हमें कुछ समय दिजिए। इसलिए कुछ वक्त दे रहा हूं। कुछ नजदीक आने से डर रहे हैं शायद कुछ कारण होंगे। अगर घर आने से डरते हैं तो जल्द उनको उन्हीं के दफ्तर में मिलूंगा क्योंकि मैंने उनको कुछ टाईम दिया है। विकास के लिए मुझे इनके पास भी जाना पड़े तो जाऊंगा लेकिन अभी कुछ समय देख रहा हूं। नए घर का काम जोरों पर है तो वहां अपना मन और वक्त लगा रहा हूं। कुछ पुरानें लोग मिलने आते हैं उनसे मिलता हूं यही दिनचर्या है।

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