Edited By kirti, Updated: 07 Jun, 2018 04:23 PM
हिमाचल में आंगनबाड़ी व हेल्पर वर्कर्स ने अपनी मागों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बताया जा रहा है कि गुरूवार को प्रदेश भर से आए सैंकड़ों आंगनबाड़ी वर्करो ने पंचायत भवन से सचिवालय तक रैली निकाल हल्ला बोला। इस दौरान इन्होंने...
शिमला(राजीव): हिमाचल में आंगनबाड़ी व हेल्पर वर्कर्स ने अपनी मागों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बताया जा रहा है कि गुरूवार को प्रदेश भर से आए सैंकड़ों आंगनबाड़ी वर्करो ने पंचायत भवन से सचिवालय तक रैली निकाल हल्ला बोला। इस दौरान इन्होंने नारेबाजी करते हुए चक्का जाम भी किया। जिसके चलते काफी देर तक यातायात भी बाधित रहा। वहीं आंगनबाड़ी यूनियन की अध्यक्ष खिमी भंडारी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार समेकित बल विकास योजना को खत्म करने की साजिश रच रही है। आंगनबाड़ी के बजट को पिछले चार वर्षो में बीस हजार करोड़ से घटाकर आधा कर दिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दायर करके आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलने वाली बच्चों की राशि को उनकी माताओं के खाते में डालने की मांग की है।
सरकारों ने हमेशा ही आंगनबाड़ी कर्मियों से भेदभाव किया
उनका कहना है कि इससे आंगनबाड़ी केंद्र बंद हो जाएंगे। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिलकर आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलने वाली बच्चों की राशि उनकी माताओं के खाते में डालने की मांग की है। केंद्र के इस कदम से आंगनबाड़ी केद्र बंद हो जाएंगे। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने देश के 11 हजार आंगनवाड़ी केंद्र को वेदांता कंपनी के हवाले करके निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा की शुरुआत कर दी है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में सत्तासीन रही सभी सरकारों ने हमेशा ही आंगनबाड़ी कर्मियों से भेदभाव किया है। इसी कारण से केरल, पुड्डुचेरी, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र के मुकाबले हिमाचल में बहुत कम वेतन दिया जाता है। केरल में आंगनबाड़ी को साढ़े बारह हजार रुपए वेतन दिया जाता है। पूरे देश में सबसे कम वेतन हिमाचल में दिया जाता है। उन्हें ग्रेच्युटी व पेंशन नहीं दी जाती। नेशनल रूरल हेल्थ मिशन का पैसा भी नहीं दिया जाता है। इसके खिलाफ ये प्रदेशन कर रही है।