नगर परिषद ज्वालामुखी की अध्यक्ष की कुर्सी पर लगी सबकी नजरें

Edited By prashant sharma, Updated: 18 Dec, 2020 12:13 PM

all eyes on the chair of the chairman of the city council jwalamukhi

हिमाचल प्रदेश में अग्रणी व आर्थिक दृष्टि से सबसे मजबूत नगर परिषदों में से एक नगर परिषद ज्वालामुखी आज भाजपा और कांग्रेस की नजरों पर है।

ज्वालामुखी (कौशिक) : हिमाचल प्रदेश में अग्रणी व आर्थिक दृष्टि से सबसे मजबूत नगर परिषदों में से एक नगर परिषद ज्वालामुखी आज भाजपा और कांग्रेस की नजरों पर है। दोनों ही पार्टियां इस बार शहरी निकाय चुनावों में अपने खास लोगों को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाना चाहती हैं, ताकि आने वाले विधानसभा चुनावों में उन को इसका लाभ मिल सके और शहर की तरक्की और विकास में उनकी पार्टी का नाम आगे जा सके। नगर परिषद ज्वालामुखी में 1995 से चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी। इससे पहले नोटिफाइड एरिया होने के नाते एसडीएम अध्यक्ष होते थे और उपाध्यक्ष व सदस्य मनोनीत होते थे। उसके बाद कुछ समय बाद ज्वालामुखी नगर पंचायत बना दी गई और उस दौरान 1995 में शुरू हुई चुनाव प्रक्रिया में नगर परिषद ज्वालामुखी के अध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस समर्थित अनिल प्रभा शर्मा ने कब्जा किया था।

इसके बाद वर्ष 2000 के चुनावों में कांग्रेस समर्थित पुजारी वर्ग ज्वालामुखी के राजन शर्मा ओपन सीट पर नगर परिषद के अध्यक्ष बने थे। वर्ष 2005 में कांग्रेस समर्थित बबली शर्मा नगर परिषद की अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुई थी, परंतु कुछ नगर पार्षदों द्वारा उनसे समर्थन वापिस लेने के बाद ढाई साल बाद नगर परिषद की अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा समर्थित मनीषा शर्मा को काबिज कर दिया। उसके बाद 2010 के चुनावों में प्रधान पद के लिए सीधे चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस की अनिल प्रभा शर्मा ने पूरे शहर का समर्थन और आशीर्वाद पाकर अध्यक्ष की कुर्सी पर अपना अधिकार जमाया। वर्ष 2015 में कांग्रेस समर्थित भावना सूद ने अध्यक्ष के कुर्सी हासिल की। इस तरह कुल मिलाकर 1995 से लेकर आज तक नगर परिषद ज्वालामुखी में 5 चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 4 बार अध्यक्ष की कुर्सी महिला के लिए आरक्षित हुई है, सिर्फ एक बार वर्ष 2000 में नगर परिषद ज्वालामुखी की अध्यक्ष की कुर्सी ओपन रही थी जिसमें राजन शर्मा ने नगर परिषद के अध्यक्ष के रूप में 5 साल तक कार्य किया था। 

उनके अलावा नगर परिषद ज्वालामुखी में आज तक कोई भी पुरुष प्रधान नहीं बन पाया है। इस बार उम्मीद लगाई जा रही है कि नगर परिषद की अध्यक्ष की कुर्सी ओपन रह सकती है, जिसके लिए कई दिग्गजों ने तैयारियां कर रखी हैं और वे प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले रोस्टर पर नजरें टिकाए हुए हैं। जैसे ही प्रदेश सरकार द्वारा नगर परिषद ज्वालामुखी के अध्यक्ष की कुर्सी के बारे में फैसला सुनाया जाएगा, उसके बाद लोग अपनी चुनावी बिसात बिछाने शुरू कर देंगे। नगर परिषद ज्वालामुखी के 7 वार्डों में से वार्ड नंबर 1 महिला अनुसूचित जाति के लिए, वार्ड नंबर 5 महिला के लिए, वार्ड नंबर 6 महिला के लिए आरक्षित हो चुके हैं। अब सिर्फ अध्यक्ष की कुर्सी का रोस्टर आना बाकी है। 

भाजपा के नेता रमेश धवाला और उनकी पूरी टीम नगर परिषद ज्वालामुखी के चुनावों पर नजर बनाए हुए है। वहीं कांग्रेस के नेता पूर्व विधायक संजय रतन और उनकी टीम भी इस बार फिर से चमत्कार करने के इरादे से नजरें जमाए हुए है। देखना यह है कि नगर परिषद ज्वालामुखी के अध्यक्ष की कुर्सी पर इस बार कौन सी पार्टी का प्रत्याशी काबिज होता है। प्रदेश में सरकार भाजपा की है इसका लाभ भाजपा को हो सकता है, परंतु पूर्व विधायक संजय रतन क्योंकि शहर के नेता है इसलिए वे शहर के लोगों पर अपने प्रभाव का पूरा इस्तेमाल करेंगे और यह लड़ाई दिलचस्प व मनोरंजक होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने अपने प्रत्याशी तय कर लिए हैं। अब सिर्फ अध्यक्ष की कुर्सी का रोस्टर आना बाकी है उसके बाद सारी तस्वीर साफ हो जाएगी। नगर परिषद ज्वालामुखी की अध्यक्ष की कुर्सी पर 1995 से लेकर आज तक 25 सालों में साढ़े 22 साल कांग्रेस का कब्जा रहा है सिर्फ ढाई साल भाजपा को अध्यक्ष की कुर्सी का सुख मिला है।
 

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