सियासी नजारा : सारे भाजपाई कंगना के पक्ष में आए, अनुराग से कइयों का किनारा

Edited By Vijay, Updated: 22 Sep, 2020 05:09 PM

all bjp members came in favor of kangana many edge from anurag

कोरोना काल के बीच सूबे की सियासी फील्ड में इन दिनों 2 प्रकरण चर्चा में हैं। पहला बॉलीवुड में खासा नाम कमा चुकी हिमाचल से नाता रखने वाली अभिनेत्री कंगना रणौत और महाराष्ट्र सरकार के बीच खुलेआम चल रही जंग तो दूसरा लोकसभा में बंगाल से कांग्रेसी सांसद...

धर्मशाला (सौरभ): कोरोना काल के बीच सूबे की सियासी फील्ड में इन दिनों 2 प्रकरण चर्चा में हैं। पहला बॉलीवुड में खासा नाम कमा चुकी हिमाचल से नाता रखने वाली अभिनेत्री कंगना रणौत और महाराष्ट्र सरकार के बीच खुलेआम चल रही जंग तो दूसरा लोकसभा में बंगाल से कांग्रेसी सांसद अधीर रंजन चौधरी द्वारा हिमाचल का नाम लेकर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर का किया गया अपमान। हालांकि ये दोनों मसले एक-दूसरे से पूरी तरह भिन्न हैं लेकिन इनकी पृष्ठभूमि में हिमाचल का नाम जुडऩे के कारण सियासत पूरी तरह गर्म है।

कंगना के समर्थन में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूरी प्रदेश भाजपा व उसके अनुषंगी संगठन शुरूआत से खड़े नजर आए हैं। कंगना को हिमाचल की बेटी बताकर सूबे भर में धरने हुए। मुख्यमंत्री घण्टों राष्ट्रीय मीडिया चैनलों में चली डिबेट में शामिल हुए, कंगना को सरकारी सुरक्षा भी दी। महिला मोर्चा ने तो एक कदम आगे बढ़कर शिमला के छराबड़ा में बना प्रियंका गांधी का बंगला तोडऩे की बात कह डाली। लगातार फैल रहे कोरोना वायरस से लड़ रहे पहाड़ी प्रदेश में सब ओर कंगना-कंगना गूंजने लगा।

भाजपा ने कंगना से अन्याय को हिमाचल की अस्मिता से जोड़ दिया लेकिन यह गुटबाजी का ही परिणाम है कि लोकतंत्र के सबसे बड़े मन्दिर लोकसभा में हिमाचल के सांसद अनुराग ठाकुर को हिमाचली छोकरा व अन्य विवादित शब्द कहकर उनका सरेआम अपमान करने के विरोध में भाजपा अभी तक खुलकर सामने नहीं आ आई है। जिस भाजयुमो के कभी अनुराग राष्ट्रीय सर्वेसर्वा रहे हैं, उसके नेता कंगना के स्पोर्ट में तो खुलकर गला फाड़ते रहे लेकिन अनुराग के अपमान पर एक शब्द नहीं बोल रहे।

खबरनवीसों के कुरेदने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ने अपने बयान में इस प्रकरण की निंदा तो की लेकिन उनके अधिकांश मंत्री अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं। प्रदेशाध्यक्ष के अलावा कुछ गिने चुने नेताओं ने इस मामले पर बयान जारी कर कांग्रेस को लताड़ जरूर लगाई है, लेकिन जिस तरह कंगना के मामले में भाजपा के बड़े से लेकर छोटे नेताओं में बयानबाजी की होड़ सी लग गई थी और सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन हुए, वो विरोध अनुराग के मामले में कहीं नहीं दिख रहा है। प्रदेश भाजपा भी एक आध बयान जारी कर मामले की निंदा तक ही सीमित रही है। इस प्रकरण में केवल अनुराग के संसदीय क्षेत्र हमीरपुर में आने वाले देहरा मंडल के सांसद समर्थक नेताओं ने सरकार को ज्ञापन भेज आवाज उठाई है।

बीते अढ़ाई साल से धूमल कैम्प से दूरी रखे हुए नेता इस मामले में अपनी जुबान सिले हुए हैं। जयराम कैम्प से जुड़े अधिकतर विधायक भी अनुराग के समर्थन में आने से कतरा रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के युवा नेता अनुराग के खिलाफ लगातार सियासी हमला बोल रहे हैं, ऐसे में अनुराग को अपने ही प्रदेश में अपनी ही पार्टी में पूरा समर्थन नहीं मिल रहा जो कहीं न कहीं भगवा पार्टी के भीतर चल रही आपसी प्रतिद्वंद्विता का ही परिणाम है। सोशल मीडिया में जरूर अनुराग के हक में 'मैं भी हिमाचली छोकरा' कैम्पेन तेज़ी से चलने लग पड़ा है।

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