अजय कुमार ने सरकारी स्कूल में शिक्षा लेकर हासिल किया यह मुकाम, गौरवान्वित है पूरा परिवार

Edited By Ekta, Updated: 07 Sep, 2018 05:04 PM

ajay kumar achieved education in government school

यह जरूरी नहीं कि कान्वेंट शिक्षा ही किसी व्यक्ति को मंजिल तक पहुंचा सकती है। सरकारी स्कूल में ही यदि पूरी लग्न और परिश्रम के साथ पढ़ा जाए तो कोई भी रुतबा हासिल किया जा सकता है। जिला ऊना के दूरदराज गांव अभयपुर के अजय कुमार ने इस धारणा को साबित किया...

ऊना (सुरेन्द्र): यह जरूरी नहीं कि कान्वेंट शिक्षा ही किसी व्यक्ति को मंजिल तक पहुंचा सकती है। सरकारी स्कूल में ही यदि पूरी लग्न और परिश्रम के साथ पढ़ा जाए तो कोई भी रुतबा हासिल किया जा सकता है। जिला ऊना के दूरदराज गांव अभयपुर के अजय कुमार ने इस धारणा को साबित किया है। हरियाणा कॉडर के युवा आई.ए.एस. अधिकारी अजय कुमार मूलत: जिला के तहत गांव अभयपुर से संबंधित हैं। गवर्नमैंट प्राइमरी स्कूल अभयपुर से 5वीं, गवर्नमैंट हाई स्कूल भद्रकाली से 10वीं तथा गवर्नमैंट सीनियर सैकेंडरी स्कूल गौंदपुर बनेहड़ा से प्लस टू पास करने वाले अजय कुमार ने आई.ए.एस. की परीक्षा पास कर न केवल अपने परिवार बल्कि क्षेत्र का नाम भी रोशन किया है। 

लोक निर्माण विभाग में कार्यरत गुरदेव के पुत्र अजय कुमार ने सरकारी स्कूलों में पढ़कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। हरियाणा के जिला मुख्यालय रोहतक में बतौर ए.डी.सी. तैनात युवा आई.ए.एस. अधिकारी अजय कुमार ने इससे पहले प्रथम प्रयास में ही आई.पी.एस. की परीक्षा भी पास की थी। उन्हें हिमाचल काडर मिला था और वह ट्रेनिंग पर भी गए थे। आई.पी.एस. बनने से पहले उन्होंने दूसरे प्रयास में आई.ए.एस. की परीक्षा भी पास कर ली। इसी वजह से आई.पी.एस. को छोड़कर अजय कुमार ने आई.ए.एस. में जाने का फैसला किया। हरियाणा कॉडर मिलने पर 2013 के बैच के अजय कुमार ने बतौर प्रोवेशनर ऑफिसर कई पदों पर काम किया। अब ए.डी.सी. के पद पर तैनात शीघ्र ही अजय कुमार किसी जिला के डी.सी. के तौर पर सेवाएं देंगे। 

अजय का कहना है कि हालांकि सरकारी स्कूलों में पढ़ते हुए उन्होंने कभी इस मुकाम तक पहुंचने की कल्पना नहीं की थी। आगे बढऩे का सपना था और एक बार मन में कुछ अलग करने की चाह आई थी। दिल्ली इंजीनियरिंग कालेज से इंजीनियरिंग करने के बाद एम.बी.ए. किया और फिर सीधे भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की। आई.ए.एस. अजय का कहना है कि उनकी सफलता के पीछे माता और पिता का आशीर्वाद और उन्हीं की प्रेरणा मुख्य तौर पर रही है। 3 भाइयों में से मझोले अजय भारतीय प्रशासनिक सेवा के जरिए लोगों की सेवा करना चाहते हैं और सरकारी नीतियों को धरातल पर उतारने के लिए काम करेंगे। 

अजय के पिता गुरदेव का कहना है कि उन्होंने भी कभी नहीं सोचा था कि बेटा वास्तव में ही आई.ए.एस. बनकर इस प्रकार से गौरवान्वित करेगा। गुरदेव का कहना है कि उन्होंने अजय के साइंस टीचर बनने की कल्पना की थी। शुरू से ही पढ़ाई में बेहद अव्वल रहने वाले अजय ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम भी रोशन किया है। बेटे के आई.ए.एस. बनने से पूरा परिवार प्रसन्नचित्त है। वह खुद को बेहद सौभाग्यशाली मानते हैं।

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